लखनऊ: कहा गया है कि राजनीति में न कोई किसी का दोस्त होता है, और न दुश्मन. बीएसपी सुप्रीमो मायावती (BSP Supremo Mayawati) ने मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के खिलाफ दर्ज खिलाफ 1995 में हुए गेस्ट हाउस कांड (Guest House Case) के बाद दर्ज मामले को वापस लेने फैसला लिया है. सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा वापस लेने का शपथ पत्र दिया गया है. जिसके उपर पर दो डेट भी पड़ चुकी है. मुलायम सिंह यादव के नाम को इस केस में से वापस ले लिया गया है लेकीन इससे जुड़े अन्य लोगों पर केस चलता रहेगा. लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान सपा और बसपा दोनों ने मिलकर चुनाव लड़ा था. उस दौरान सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और बसपा प्रमुख मायावती ने एक साथ मंच साझा किया था. जिसके बाद माना जाने लगा कि गेस्ट हाउस कांड ने दोनों के बीच इतनी गहरी खाई खोद दी थी वो पाटने लगा. तब मायावती ने गठबंधन के दौरान कह दिया था कि वह गेस्ट हाउस कांड को किनारे रखकर जनहित के लिए यह गठबंधन कर रही हैं.
बता दें कि लोकसभा चुनाव में मायावती और अखिलेश ने मिलकर चुनाव लड़ा था. इससे पहले यह दोनों पार्टी 1993 में मिलकर लड़ा था. फिलहाल अभी कि अगर बात करें तो दोनों ही पार्टियों में खटास चल रहा है. समाजवादी पार्टी (SP) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि 2022 का विधानसभा चुनाव उनकी पार्टी अकेले ही लड़ेगी. जो उपचुनाव के दौरान साफ देखा गया.
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जानें गेस्ट हाउस कांड का पूरा मामला
जानकारों के अनुसार दो जून 1995 की शाम को बहुजन समाज पार्टी ने अपने विधायकों की बैठक बुलाई. लखनऊ के गेस्ट हाउस में मायावती अपने विधायकों के साथ गठबंधन तोड़ने पर चर्चा कर रही थीं. इसी बीच कथित तौर पर सपा के करीब 200 कार्यकर्ताओं और विधायकों ने गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया. इस दौरान बीएसपी के विधायकों के साथ कथित तौर पर मारपीट शुरू की गई.
उस वक्त मायावती ने खुद को एक कमरे में बंद कर दिया. कुछ देर में भीड़ मायावती के कमरे तक पहुंची और दरवाजा तोड़ने की कोशिश करने लगी. बताया जाता है कि इस दौरान सपा कार्यकर्ताओं ने मायावती को कथित तौर पर अपशब्द कहे और जातिसूचक शब्द भी बोले. उन्होंने मायावती के साथ कथित तौर पर बदसलूकी का भी प्रयास किया. कुछ ही देर में एसपी और डीएम पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और सपा समर्थकों को वहां से भगाया.