
Marathi vs Hindi Controversy: मुंबई में हिंदी भाषा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) कार्यकर्ताओं का एक नया वीडियो सामने आया है, जिसमें वे हिंदी किताबें जलाते नजर आ रहे हैं. aajtak.in की रिपोर्ट के मुताबिक, भांडुप और कांजूरमार्ग इलाकों में मनसे कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतरकर स्कूलों में पढ़ाई जा रही हिंदी किताबों का विरोध किया. राज ठाकरे की प्रेस कॉन्फ्रेंस के कुछ देर बाद ही कार्यकर्ताओं ने कई किताबों की दुकानों में जाकर हिंदी की स्कूल टेक्स्ट बुक्स को फाड़ दिया और फिर उन्हें आग के हवाले कर दिया.
मनसे कार्यकर्ताओं का कहना है कि राज्य के मराठी स्कूलों में जबरदस्ती हिंदी भाषा थोपने की कोशिश की जा रही है, जिसे वे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं करेंगे.
मुंबई में हिंदी भाषा के खिलाफ मनसे का उग्र प्रदर्शन
हिंदीची सक्ती, मनसे आक्रमक, दुकानातून पुस्तकं जाळली #Hindi #RajThackeray #Mns pic.twitter.com/jd6lYyqsfm
— Mumbai Tak (@mumbaitak) June 21, 2025
दुकानों में मारी रेड, किताबें जलाईं
प्रदर्शन के दौरान मनसे कार्यकर्ताओं ने इलाके की कई दुकानों में घुसकर हिंदी की किताबें निकालीं और वहीं फाड़कर जला दीं. उन्होंने दुकानदारों को खुलेआम धमकी दी और कहा कि अगर मराठी स्कूलों में हिंदी किताबें रखी गईं या बेची गईं, तो उन्हें गंभीर अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा. इस घटना से स्थानीय दुकानदारों में डर का माहौल है, लेकिन उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार किया है.
शिक्षा को बनाया निशाना
अब तक मनसे का आंदोलन सड़क, राजनीति और नौकरियों तक ही सीमित रहता था, लेकिन इस बार शिक्षा के क्षेत्र को सीधा निशाना बनाया गया है. यह घटना ऐसे वक्त पर हुई है जब राज्य में भाषा और क्षेत्रीय अस्मिता को लेकर माहौल पहले से ही संवेदनशील बना हुआ है.
पुलिस और प्रशासन की चुप्पी
घटना के बाद अब तक किसी कार्यकर्ता की गिरफ्तारी की खबर नहीं है, जिससे प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. लोगों का कहना है कि अगर ऐसे ही खुलेआम किताबें जलाई जाती रहीं और कानून चुप रहा, तो शिक्षा का भविष्य खतरे में पड़ सकता है.
राजनीतिक माहौल गरम
राज ठाकरे की अगुवाई में मनसे हमेशा से ही मराठी भाषा और संस्कृति को लेकर मुखर रही है. लेकिन अब पार्टी का रुख और भी आक्रामक होता नजर आ रहा है. यह प्रदर्शन साफ संकेत देता है कि मनसे अब हिंदी के खिलाफ मोर्चा खोल चुकी है. आने वाले समय में यह मुद्दा और भी गरमा सकता है.