Delhi Election Results 2022:- दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) ने अपने जीत का सिलिसला बरकरार रखा. वहीं बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है. इस बार के चुनाव में बीजेपी और आप के बीच ऐसी लड़ाई थी जो दोनों ही दलों के नाक की बात बन गई थी. लेकिन इस नाक को बचाने में AAP कामयाब रही. बीजेपी की कमान अमित शाह के पास थी. एक से बढ़कर एक नेता और सभी मैदान में जनता से पार्टी के लिए वोट मांगने जुटे थे. लेकिन जनता का वोट आखिरकार आप के झोली में गया. इसी के साथ एक बार फिर सूबे में केजरीवाल की सरकार बनने जा रही है. लेकिन सवाल उठता है कि क्यों बीजेपी को दिल्ली में हार का मुंह देखना पड़ा. कहां पर बीजेपी से बड़ी चूक हुई.
दरअसल दिल्ली के चुनाव में बीजेपी का मुख्य मुद्दा शाहीन बाग और CAA को लेकर मैदान में उतरी. इस दौरान बीजेपी ने एक बार फिर दिल्ली से जुड़े कई अहम मुद्दों पर ज्यादा जोर नहीं दिया. केजरीवाल की सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छ जल और 24 घंटे बिजली जैसे वादे करते हुए जनता के बीच पहुंची थी. वहीं बीजेपी ने जनता को लुभाने के लिए कई वादा किया था. जिनमें कम से कम 10 लाख बेरोजगारों को रोजगार. नई अधिकृत कॉलोनियों के विकास के लिए कॉलोनी डेवलपमेंट बोर्ड और विकास को प्राथमिकता. मिक्स्ड लैंड यूज के अंतर्गत आने वाली दिल्ली की शेष 351 रोड को भी नोटिफाई करके उनका विकास की बात कही. लेकिन चुनाव प्रचार के बीजेपी के नेताओ के कई ऐसे बयान सामने आए जो बीजेपी के खिलाफ गए.
बीजेपी नेता प्रवेश वर्मा ने केजरीवाल को आतंकवादी कहा था. प्रवेश वर्मा ने दिल्ली में बने मस्जिदों को तोड़ने और शाहीन बाग को खाली कराने की बात कही थी. वहीं बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने गोलीमार मारने की बात कह डाली थी. जिसके बाद इन नेताओं के खिलाफ चुनाव आयोग को एक्शन लेना पड़ा था. वहीं इन सभी बयान के बाद आम आदमी पार्टी ने अपने काम को लेकर जनता के बीच वोट मांगने में लगी हुई थी. यह भी पढ़ें:- दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम 2020: AAP की जीत के पीछे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का है बड़ा हाथ, जानें उनसे जुड़ी बातें.
बीजेपी पहले भी राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़ा था चुनाव:-
हाल ही में हुए झारखंड और महारष्ट्र विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने स्थानीय मुद्दों को छोड़ राष्ट्रीय मुद्दों पर चुनाव लड़ा. दोनों ही राज्यों में पार्टी बहुमत से दूर रही. हालांकि, महाराष्ट्र में उनके गठबंधन को बहुमत हासिल हुआ मगर शिवसेना ने कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली. वहीं झारखंड में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने झामुमो और राजद के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा और वह बीजेपी सरकार को सत्ता से बेदखल करने में सफल हुई थी.
सातवें राज्य में भी बीजेपी को देखना पड़ा हार का मुंह:-
दिल्ली के साथ ही बीजेपी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) पिछले दो साल में छह राज्यों में सत्ता गंवा चुकी है. जिसमें महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, पुडुचेरी, झारखंड का नाम शामिल है. इस कड़ी में अब दिल्ली का नाम भी जुड़ गया है. यहां पर कांग्रेस की सरकार है. दिसंबर, 2017 में बीजेपी और सयोगी पार्टी बेहतर स्थिति में था. बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास 19 राज्य थे.
एक साल बाद बीजेपी ने तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में सत्ता गंवा दी. यहां अब कांग्रेस की सरकारें हैं. चौथा राज्य आंध्र प्रदेश है, जहां बीजेपी-TDP गठबंधन की सरकार थी. मार्च 2018 में TDP ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया था. वहीं तमिलनाडु में बीजेपी का एक भी विधायक नहीं है. इसलिए इस राज्य को बीजेपी के हाथों से दूर माना जा रहा है. साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां वाईएसआर कांग्रेस ने सरकार बनाई. पांचवां राज्य महाराष्ट्र है.