Facebook row: बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने शशि थरूर के खिलाफ लोकसभा स्पीकर को दुबारा लिखा पत्र, अध्यक्ष के पद से हटाने की मांग

फेसबुक से जुड़े विवाद को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में राजनीतिक घमासान अब तक थमा नहीं है. बीजेपी से लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे ( MP Nishikant Dubey) और कांग्रेस सांसद शशि थरूर ( MP Shashi Tharoor) के बीच ठनाठनी अब भी जारी है. इसी कड़ी में एक बार फिर से लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे ने दुबारा लोकसभा स्पीकर (Lok Sabha Speaker) को पत्र लिखा है. निशिकांत दुबे ने अपने पत्र में लिखा है कि शशि थरूर (Shashi Tharoor) संसदीय स्थायी समिति (Parliamentary Standing Committee On Information Technology) की बैठक में शामिल नहीं हुए हैं. जिसके लेकर शशि थरूर पर कार्रवाई की जाए और उन्हें अध्यक्ष के पद से हटा दिया देना चाहिए.

लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे ( फोटो क्रेडिट- ANI)

फेसबुक से जुड़े विवाद को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में राजनीतिक घमासान अब तक थमा नहीं है. बीजेपी से लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे ( MP Nishikant Dubey) और कांग्रेस सांसद शशि थरूर ( MP Shashi Tharoor) के बीच ठनाठनी अब भी जारी है. इसी कड़ी में एक बार फिर से लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे ने दुबारा लोकसभा स्पीकर (Lok Sabha Speaker) को पत्र लिखा है. निशिकांत दुबे ने अपने पत्र में लिखा है कि शशि थरूर (Shashi Tharoor) संसदीय स्थायी समिति (Parliamentary Standing Committee On Information Technology) की बैठक में शामिल नहीं हुए हैं. जिसके लेकर शशि थरूर पर कार्रवाई की जाए और उन्हें अध्यक्ष के पद से हटा दिया देना चाहिए.

बता दें कि इससे पहले पहले शशि थरूर ने निशिकांत दुबे के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस भेजा था. वहीं, ठीक थरूर के बाद निशिकांत दुबे ने भी उन्हें और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस (Breach of Privilege Motion Notice) भेज दिया था. दरअसल विवाद उस वक्त बढ़ गया जब सांसद निशिकांत दुबे ने कहा था कि स्थायी समिति के प्रमुख के पास इसके सदस्यों के साथ एजेंडे के बारे में विचार-विमर्श किए बिना कुछ करने का अधिकार नहीं है.

ANI का ट्वीट:-

जिसके बाद शशि थरूर ने कहा था, निशिकांत दुबे की अपमानजनक टिप्पणी से न सिर्फ सांसद एवं समिति के प्रमुख के तौर पर मेरे पद का अनादर हुआ है, बल्कि उस संस्था का भी अपमान हुआ है जो हमारे देश की जनता की आकांक्षा का प्रतिबिंब है.

गौरतलब है कि फेसबुक से जुड़ा पूरा विवाद अमेरिकी अखबार वाल स्ट्रीट जर्नल की ओर से शुक्रवार को प्रकाशित रिपोर्ट के बाद आरंभ हुआ. इस रिपोर्ट में फेसबुक के अनाम सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि फेसबुक के वरिष्ठ भारतीय नीति अधिकारी ने कथित तौर पर सांप्रदायिक आरोपों वाली पोस्ट डालने के मामले में तेलंगाना के एक बीजेपी विधायक पर स्थायी पाबंदी को रोकने संबंधी आंतरिक पत्र में हस्तक्षेप किया था.

 

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