Bihar Assembly Elections 2020: क्या LJP और JDU की लड़ाई बनेगी BJP के लिए सिरदर्द, NDA में आ सकती है दरार
बिहार में विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही बीजेपी, जनता दल (यूनाईटेड), लोक जनशक्ति पार्टी, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा आरजेडी, कांग्रेस समेत अन्य छोटे बड़े सभी दल राजनीतिक दलों ने मतदाताओं में अपनी पैठ बनाने को लेकर मुद्दों की तलाश शुरू कर दी है. अपने गठबंधन को मजबूत करने की कवायद जारी कर दी है. लेकिन इस दरम्यान अंदरूनी अनबन भी अब अपने चरम पर पहुंच रहा है, जिसका असर एनडीए की एकजुटता पर भी पड़ सकता है. दरअसल लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) और जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) के सब कुछ ठीक नहीं है. जो अब बीजेपी के लिए सिरदर्द बन सकती है. इसका असर NDA के गठबंधन पर भी पड़ सकता है.
Bihar Assembly Election 2020: बिहार में विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही बीजेपी, जनता दल (यूनाईटेड), लोक जनशक्ति पार्टी, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा आरजेडी, कांग्रेस समेत अन्य छोटे बड़े सभी दल राजनीतिक दलों ने मतदाताओं में अपनी पैठ बनाने को लेकर मुद्दों की तलाश शुरू कर दी है. अपने गठबंधन को मजबूत करने की कवायद जारी कर दी है. लेकिन इस दरम्यान अंदरूनी अनबन भी अब अपने चरम पर पहुंच रहा है, जिसका असर एनडीए की एकजुटता पर भी पड़ सकता है. दरअसल लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) और जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) के सब कुछ ठीक नहीं है. जो अब बीजेपी के लिए सिरदर्द बन सकती है. इसका असर NDA के गठबंधन पर भी पड़ सकता है.
बता दें कि बिहार NDA में JDU और LJP में तकरार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने जमकर निशाना साधा था. जिसके बाद नीतीश कुमार के मंत्रियों ने भी एलजेपी पर निशाना साधा था. वहीं जीतन राम मांझी की पार्टी हम भी NDA का हिस्सा बन गई है. जीतनराम मांझी भी दलितों की राजनीति करते हैं, वहीं रामविलास पासवान भी खुद को सबसे बड़ा दलित नेता मानते हैं. इस दौरान दलों में एलजेपी, हम और JDU में जुबानी जंग जारी है. ऐसे में बीजेपी को चिराग पासवान-जीतन राम मांझी प्रतियोगिता में रेफरी की भूमिका निभानी है. जबकि दोनों दलों में कोच की भूमिका रामविलास पासवान और नीतीश कुमार को निभाएंगे ताकि उनके कैडर से कोई विश्वासघात न हो.यह भी पढ़ें:- Bihar Assembly Election 2020: बिहार विधानसभा चुनाव में भीम आर्मी पार्टी देगी दस्तक, अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने नीतीश सरकार पर बोला हल्ला.
रामविलास पासवान मोदी सरकार में सहयोगी दल के रूप में हैं. अगले साल रामविलास पासवान 75 साल के हो रहे हैं. वैसे तो रामविलास पासवान बीजेपी के सदस्य नहीं है. लेकिन वे बीजेपी के साथ केंद्र में हैं. वहीं चिराग पासवान का जहां JDU पर गरम हैं तो वहीं बीजेपी पर नरम हैं. लेकिन राजनीति में आने के बाद भी चिराग पासवान के पास रामविलास पासवान जैसी पकड़ नहीं है, दूसरी तरफ बीजेपी न तो केंद्र में और नहीं बिहार में एलजेपी पर निर्भर है.
वैसे यह भी कहा जा सकता है कि चिराग पासवान मोदी मंत्रिमंडल मंडल में जगह बनाने की कवायद में जुटे हैं. जैसे ही काम बनेगा वो नीतीश कुमार के साथ फिर समान्य व्यवहार में आ जाएंगे. यूं कहा जाये तो बिहार विधानसभा चुनाव केंद्र की वास्तविक दौड़ के लिए सिर्फ एक रनवे हो सकता है, तो यह गलत नहीं होगा. यह भी पढ़ें:- Bihar Assembly Election 2020: बिहार चुनाव में लालू यादव की बहू ऐश्वर्या राय अपने पति तेजप्रताप को दे सकतीं हैं टक्कर
लेकिन अगर बात नहीं बनी तो आगामी विधानसभा चुनाव में बड़ा उलटफेर देखा जा सकता है. क्योंकि अगर एलजेपी एनडीए से अलग होती है तो उसका असर चुनाव के परिणाम पर पड़ सकता है. जबकि कांग्रेस और आरजेडी की नजर भी एलजेपी पर है. क्योंकि उन्हें समर्थन मिलता है जितनराम मांझी की कमी पूरी हो जाएगी. ऐसे में बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कि NDA में किसी प्रकार दरार न पड़े और चुनाव परिणाम भी उनके पक्ष में आए.