Farmers Protest: कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों द्वारा मंगलवार को बुलाए गए भारत बंद का देश भर में व्यापक असर और समर्थन देखने को मिला. देश की राजधानी दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार, पश्चिम बंगाल समेत दक्षिण भारत तक बंद का जोरदार असर दिखा. भारत बंद के दौरान किसानों के साथ लोगों का समर्थन देखते हुए गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) वार्त से एक दिन पहले ही किसान नेताओं से बातचीत के लिए उन्हें बुलाया. किसान नेताओं और गृह मंत्री शाह के साथ मंगलवार देर रात तक बैठक चली. लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं निकल सका. ऐसे में सरकार किसानों के पास कल चर्चा के लिए लिखित रूप में एक प्रस्ताव भेजेगी.
बैठक खत्म होने के बाद अखिल भारतीय किसान सभा (All India Kisan Sabha) के महासचिव हन्नान मोल्लाह (Hannan Mollah) ने कहा सरकार कानून को वापस नहीं लेना चाहती हैं. ऐसे में सरकार की तरफ से प्रस्ताव भेजे जाने के बाद किसान नेताओं की सिंघू बॉडर पर बुधवार को 12 बजे बैठक होने वाली हैं, जिस पर चर्चा होगी. हन्नान ने कहा सरकार द्वारा चर्चा के लिए प्रस्ताव भेजे जाने की बात पर अब बुधवार को सरकार और किसानों के साथ होने वाली बैठक नहीं होगी. यह भी पढ़े: Farmers Protest: पंजाब किसान यूनियन ने कहा-हम दिल्ली या हरियाणा किसी को भी असुविधा नहीं पहुंचाना चाहते हैं, हमें रामलीला ग्राउंड पर विरोध प्रदर्शन की मिले इजाजत
The Government is not ready to take back the farm laws: Hannan Mollah, General Secretary, All India Kisan Sabha https://t.co/APu8ws5eWS
— ANI (@ANI) December 8, 2020
वहीं इसके पहले किसानों से 5 दिसंबर को पांचवी बार वार्ता हुई. लेकिन किसान नेताओं और सरकार के बीच कोई हल नहीं निकलने पर छठे दौर की वार्ता 9 दिसंबर को रखी गई थी. लेकिन सरकार द्वारा किसानों के भारत बंद को देखते हुए एक दिन बैठक बुलाये जाने और सरकार द्वारा किसानों को प्रस्तवा भेजने की बात पर अब 9 दिसंबर को होने वाली बैठक नहीं होगी. लेकिन किसानों का आंदोलन आगे इसी तरह से जारी रहेगा.
किसानों की मांगे:
किसान संगठन मोदी सरकार द्वारा लागू तीन नये कृषि कानून, कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन व कृषि सेवा पर करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि इन कानूनों का फायदा किसानों को नहीं, बल्कि कॉरपोरेट को होगा.केंद्रीय मंत्रियों के साथ मंगलवार को बैठक में इन तीनों कानूनों पर चर्चा होगी.
वहीं दूसरा बड़ा मसला न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की गारंटी का है.किसान चाहते हैं कि केंद्र सरकार उन्हें एमएसपी पर फसलों की खरीद की गारंटी दे. तीसरा मसला पराली दहन से संबंधित है. केंद्र सरकार ने हाल ही में पराली दहन पर रोक लगाने के लिए एक अध्यादेश लाया है जिसमें नियमों का उल्लंघन करने पर पांच साल तक जेल की सजा या एक करोड़ रुपये तक जुर्माना या दोनों का प्रावधान है. किसान नेता इस अध्यादेश के मसले पर भी बातचीत करना चाहते हैं. (इनपुट आईएएनएस)