नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सांसदों की संख्या बढ़ाने के लिए बीजेपी की नजर दक्षिणी भारत में गठबंधन की ओर है. उसके नेताओं का कहना है कि पार्टी अपना विकल्प खुला रखने के पक्ष में है ताकि 2019 में सत्ता में लौटने के लिए अधिक पार्टियों से समर्थन की आवश्यकता होने की स्थिति में जरूरी आंकड़े जुटाए जा सकें. तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में बीजेपी यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है कि वह किसी मजबूत क्षेत्रीय पार्टी के साथ गठबंधन करे. गठबंधन न भी तो उसके साथ अपने संबंधों को मधुर बनाए रखे ताकि आवश्यकता होने पर उसका समर्थन हासिल किया जा सके.
दक्षिण के शेष दो राज्यों में से एक कर्नाटक में बीजेपी का प्रदर्शन परंपरागत रूप से अच्छा रहा है. वहीं केरल में कांग्रेस और सीपीएम के नेतृत्व वाले दोनों गठबंधनों के बीच भगवा पार्टी अपनी चुनावी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए संघर्ष कर रही है. कर्नाटक को छोड़कर दक्षिण भारत के किसी भी राज्य में बीजेपी प्रमुख ताकत नहीं है. ऐसे में पार्टी दक्षिण भारत में क्षेत्रीय दलों के साथ सौहार्द बनाए रखना चाहती है. एक पार्टी नेता ने तमिलनाडु का उदाहरण देते हुए कहा कि AIADMK के साथ मधुर संबंध होने के बाद भी बीजेपी ने उसकी चिर-प्रतिद्वंद्वी पार्टी डीएमके का तीखा विरोध करने से परहेज किया है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले साल बीमार डीएमके नेता करुणानिधि को देखने गए थे. इसके साथ ही वह करुणानिधि के निधन के बाद भी पिछले महीने चेन्नै गए थे. बीजेपी सूत्रों ने कहा कि वे तेलंगाना में अच्छी स्थिति में हैं और सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआरएस) ने संकेत दिया है कि वह भगवा पार्टी के साथ हाथ मिला सकती है. टीआरएस प्रमुख और राज्य के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव कांग्रेस की आलोचना करते रहे हैं. एन चंद्रबाबू नायडू नीत तेलुगू देशम पार्टी के एनडीए से अलग हो जाने के बाद आंध्र प्रदेश में एनडीए कमजोर हो गया था.
बीजेपी नेताओं का मानना है कि राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करेगी और वह उनका समर्थन कर सकती है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह दक्षिण के राज्यों में पार्टी के आधार को बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं। हालांकि यह देखा जाना बाकी है कि पार्टी के प्रदर्शन में कितना सुधार होता है. बीजेपी ने 2014 के चुनाव में कर्नाटक में लोकसभा की 25 में से 15 सीटें जीती थीं. आंध्र प्रदेश में 20 में से दो, तेलंगाना में 17 में से एक, तमिलनाडु में 39 में से एक सीट पर बीजेपी को जीत मिली थी. केरल में उसे एक भी सीट नहीं मिली थी.
भाषा