पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर किसानों और पुलिस के बीच एक बार फिर तनावपूर्ण माहौल देखने को मिला. 300 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपनी मांगों को लेकर "दिल्ली चलो" मार्च शुरू किया. इस दौरान पुलिस और किसानों के बीच तीखी झड़प हुई, जिसमें पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े.
किसानों का दिल्ली कूच और पुलिस का हस्तक्षेप
शंभू बॉर्डर से 101 किसानों का जत्था हरियाणा की ओर बढ़ा, लेकिन कुछ ही दूरी पर पुलिस ने उन्हें रोक दिया. पुलिस का कहना था कि केवल सूचीबद्ध किसानों को ही आगे बढ़ने की अनुमति है. हालांकि, किसान संगठनों का दावा है कि उन्होंने ऐसी कोई सूची पुलिस के साथ साझा नहीं की.
हरियाणा पुलिस के अनुसार, उनके पास 101 किसानों के नामों की सूची है, जिनको ही दिल्ली कूच की इजाजत दी जानी है. लेकिन पुलिस का कहना है कि मार्च में शामिल लोग सूची से मेल नहीं खा रहे. दूसरी ओर, किसानों का आरोप है कि यह उनकी आवाज दबाने की साजिश है.
#WATCH | Farmers' 'Dilli Chalo' march | Visulas from the Shambhu border where Police use tear gas to disperse farmers
"We will first identify them (farmers) and then we can allow them to go ahead. We have a list of the names of 101 farmers, and they are not those people - they… pic.twitter.com/qpZM8LK1vw
— ANI (@ANI) December 8, 2024
आंसू गैस का इस्तेमाल और स्थिति तनावपूर्ण
जब किसान जत्था आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा था, तो पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि वे केवल उन किसानों को ही अनुमति देंगे जो सूची में शामिल हैं. लेकिन किसानों ने इसे प्रशासन की चाल करार देते हुए विरोध तेज कर दिया.
किसानों की मांग और आंदोलन का भविष्य
किसानों का कहना है कि उनकी मांगें पूरी होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा. दिल्ली कूच को लेकर उनका इरादा अडिग है. शंभू बॉर्डर पर पैदा हुए इस नए तनाव से आंदोलन की गंभीरता एक बार फिर उजागर हो गई है.