नई दिल्ली: भारत के प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर, पायलट बाबा का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया. लंबे समय से बीमार चल रहे पायलट बाबा ने दिल्ली के अपोलो अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनका अंतिम संस्कार हरिद्वार में किया जाएगा. पायलट बाबा, जिनका असली नाम कपिल सिंह था, भारतीय वायुसेना में विंग कमांडर थे और उन्होंने दो बार पाकिस्तान के साथ युद्ध लड़ा था. इसके बाद उन्होंने संसार त्यागकर संन्यास का मार्ग अपनाया और आध्यात्मिक यात्रा पर निकल पड़े.
कपिल सिंह को बाद में पायलट बाबा के नाम से जाना गया. उनका जन्म बिहार के सासाराम में हुआ था. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में मास्टर्स की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने 1957 में भारतीय वायुसेना में कदम रखा. 1965 के युद्ध के दौरान, पायलट बाबा ने अपने ग्नैट विमान को पाकिस्तानी शहरों के ऊपर कम ऊंचाई पर उड़ाते हुए ख्याति प्राप्त की. हालांकि, 1971 के युद्ध के दौरान हुई विनाशकारी घटनाओं ने उनके जीवन को एक महत्वपूर्ण मोड़ पर ला दिया, जिसके बाद उन्होंने वायुसेना छोड़ दी और सात वर्षों तक हिमालय की यात्रा की, जहां उन्होंने अपने गुरु को पाया.
पायलट बाबा का जीवन आध्यात्मिकता की ओर मोड़ लेने के बाद एक नई दिशा में बढ़ा. उन्होंने हिमालय में 16 वर्षों तक तपस्या की और अपने अनुभवों को 'अनवील्स मिस्ट्री ऑफ हिमालय' और 'डिस्कवर सीक्रेट ऑफ द हिमालय' जैसी पुस्तकों में साझा किया.
पायलट बाबा ने दुनिया को कहा अलविदा
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पायलट बाबा का दावा था कि उन्होंने महाभारत के वीर योद्धा अश्वत्थामा से मुलाकात की, जो आज भी हिमालय की तलहटी में रहने वाले जनजातियों के बीच रहते हैं. इसके अलावा, उन्होंने महावतार बाबाजी, कृपाचार्य जैसे प्राचीन व्यक्तियों के साथ भी चर्चा की.
पायलट बाबा की समाधि साधना ने उन्हें आध्यात्मिक जगत में एक विशेष पहचान दिलाई. ग्वालियर की विजयाराजे सिंधिया द्वारा सोमनाथ गिरी नाम प्राप्त करने वाले पायलट बाबा ने 1976 से अब तक 110 से अधिक बार समाधि लेने का दावा किया.