उत्तर प्रदेश: बहू और बेटियों को सशक्त बनाएंगे पंचायत भवन और सामुदायिक शौचालय, स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी होंगे उपलब्ध
उत्तर प्रदेश की हर ग्राम पंचायत में बनने वाले पंचायत भवन और सामुदायिक शौचालय भी मिशन शक्ति की मंशा के अनुसार नारी सशक्तिरण का जरिया बनेंगे. सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि हर पंचायत भवन में एक बैंक सखी और हर सामुदायिक शौचालय में सफाई के लिए एक महिला सफाईकर्मी-केयर टेकर होगी.
लखनऊ, 22 अक्टूबर: उत्तर प्रदेश की हर ग्राम पंचायत में बनने वाले पंचायत भवन और सामुदायिक शौचालय भी मिशन शक्ति की मंशा के अनुसार नारी सशक्तिरण का जरिया बनेंगे. सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि हर पंचायत भवन में एक बैंक सखी और हर सामुदायिक शौचालय में सफाई के लिए एक महिला सफाईकर्मी-केयर टेकर होगी. इसे हर माह 6,000 रुपये का मानदेय भी मिलेगा. प्रदेश में कुल 58,079 ग्राम पंचायतें हैं. सरकार का लक्ष्य कुल 56,960 सामुदायिक शौचालयों के निर्माण का है. 18,847 बन चुके हैं. 35,058 दो माह में पूरे हो जाएंगे. इस तरह इनकी संख्या के अनुसार स्थानीय स्तर पर बहू-बेटियों को रोजगार मिलने से वो आत्मनिर्भर बन सकेंगी.
यही नहीं इनसे स्थानीय स्तर पर रोजगार के और अवसर भी उपलब्ध होंगे. मसलन सरकार पंचायत भवनों को मिनी ग्राम सचिवालयों के रूप में विकसित करना चाहती है. ऑप्टिकल फाइवर और हाई स्पीड इंनटरनेट कनेक्टिविटी से जुड़े इन केंद्रों में गांव के विकास से जुड़े सभी विभागों के ग्रामीण स्तर के अधिकारी - प्रधान, लेखपाल, सचिव, रोजगार सेवक, एनएनएम, आशा, पंचायत सदस्य तय समय पर बैठेंगे. तहसील की बजाय यहीं पर लोगों को जाति, आय, जन्म-मृत्यु, पेंशन समेत सभी प्रमाणपत्र उपलब्ध होंगे. इसमें भी कम से कम चार से पांच लोगों को रोजगार मिलेगा.
इसी तरह ग्राम पंचायतों में बन चुके या अगले दो महीने में तैयार होने वाले 56,960 सामुदायिक शौचालयों में वहां की स्वयंसेवी सहायता समूह से जुड़ी किसी एक महिला को सफाई कर्मी - केयर टेकर के रूप में रोजगार तो मिलेगा ही प्लंबर और बिजली का काम करने वालों को भी समय-समय पर काम मिलेगा. सरकार ने पहले ही प्रति शौचालय प्रति माह 500 रुपये का व्यय इस मद में रखा है. यही नहीं शौचालयों की सफाई के लिए रोजमर्रा की जरूरत के सामान, जैसे झाड़ू, ब्रश, वाइपर, स्पंज, बाल्टी, मग, पोछा, साबुन, हार्पिक, ब्रश, वाशिंग पाउडर, एअर फ्रेशनर, ग्लब्स और मास्क के कारोबार में भी वृद्धि होगी.
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कोरोना के अभूतपूर्व संकट में इससे भी उत्पादन से लेकर विपणन तक के हर स्तर पर कुछ लोगों को रोजगार मिलेगा. सरकार ने साफ-सफाई के मद में प्रति छह माह प्रति शौचालय 1200 रुपये और साबुन, हार्पिक आदि सामानों के लिए हर माह हर शौचालय 1000 रुपये के बजट का प्रावधान किया है. अपर मुख्य सचिव पंचायती राज मनोज सिंह का कहना है कि सामुदायिक शौचालय और पंचायत भवन बनने से 58,079 गरीब महिलाओं को डायरेक्ट रोजगार मिलेगा. 6000 रुपए ग्रामीण महिला को मिलना उसकी जिंदगी सवांरने में बहुत बड़ी सहायता होगी.