पहलगाम आतंकी हमले का मास्टरमाइंड कौन? किसने लीड किया भयावह अटैक; जानें सब कुछ
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श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद का यह सबसे भयानक आतंकी हमला साबित हुआ है. 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन घास मैदान में आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें 26 लोग मारे गए. इस हमले की जिम्मेदारी द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है, जो कि लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का ही एक नया रूप है. इस पूरे आतंकी हमले के पीछे दो नाम मुख्य रूप से सामने आए हैं सैफुल्ला कसूरी (मास्टरमाइंड) और आसिफ फौजी (हमले का लीडर).

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कौन है सैफुल्ला कसूरी – हमले का मास्टरमाइंड?

सैफुल्ला कसूरी उर्फ खालिद, पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का वरिष्ठ कमांडर है. वह लश्कर के संस्थापक हाफिज सईद का करीबी माना जाता है. खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, यह हमला पूरी तैयारी के साथ किया गया, जब भारत के प्रधानमंत्री मोदी सऊदी अरब दौरे पर थे और अमेरिकी उपराष्ट्रपति भारत में थे. कसूरी ने हमले की प्लानिंग की और हमला करने वाले आतंकियों को पाकिस्तान से भेजा गया.

कसूरी का नेटवर्क लश्कर का पेशावर हेडक्वार्टर और राजनैतिक मुखौटा

कसूरी लश्कर-ए-तैयबा के पेशावर हेडक्वार्टर का प्रभारी है. वह जमात-उद-दावा की राजनीतिक शाखा मिली मुस्लिम लीग (MML) का भी अध्यक्ष रह चुका है. अमेरिका ने 2016 में जमात-उद-दावा को लश्कर का दूसरा नाम घोषित कर प्रतिबंधित किया था. 2008 में इसे संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में भी डाला गया. यह दिखाता है कि कसूरी सिर्फ आतंकी नहीं, बल्कि लश्कर की राजनीतिक रणनीति का भी हिस्सा रहा है.

क्या है TRF – 'द रेजिस्टेंस फ्रंट'?

TRF की स्थापना 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद हुई थी, ताकि आतंकवाद को ‘स्थानीय विद्रोह’ के रूप में प्रस्तुत किया जा सके. यह LeT की ही छाया में काम करता है लेकिन नाम ऐसा रखा गया है कि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग पहचान दी जा सके. TRF पर युवाओं को ऑनलाइन भर्ती करने, हथियारों और नशे की तस्करी तथा घुसपैठ में मदद करने के आरोप हैं. भारत सरकार ने TRF को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत आतंकी संगठन घोषित किया है.

कौन है आसिफ फौजी- TRF हमले का लीडर?

TRF द्वारा हमले की जिम्मेदारी लेने के बाद, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जिन तीन आतंकियों की पहचान की, उनमें आसिफ फौजी प्रमुख है. कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, वह पाकिस्तान सेना से जुड़ा रहा है, इसलिए उसका नाम 'फौजी' पड़ा. चश्मदीदों के अनुसार, कुछ आतंकी पश्तो भाषा में बात कर रहे थे, जिससे उनके पाकिस्तानी होने की पुष्टि होती है, जबकि आदिल और एक अन्य आतंकी स्थानीय थे. फौजी ही हमले के दौरान आतंकियों का ग्राउंड कमांडर था.

पाकिस्तानी भाषण और हमले का सीधा संबंध

हमले से ठीक पहले पाकिस्तान में दो भड़काऊ भाषण हुए: पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर ने 16 अप्रैल को "दो राष्ट्र सिद्धांत" पर जोर दिया और हिंदुओं के खिलाफ ज़हर उगला. 18 अप्रैल को अबू मूसा, LeT कमांडर ने POK में एक रैली में कश्मीर में 'जिहाद' और रक्तपात की अपील की. इन भाषणों को भारतीय खुफिया एजेंसियों ने हमले की प्रेरणा और संकेत माना है. इससे पाकिस्तान की सेना और आतंकी संगठनों के बीच तालमेल भी स्पष्ट होता है.