बसों की खतरनाक डिजाइन पर एनएचआरसी सख्त, सभी राज्यों को भेजा नोटिस, दो हफ्ते में मांगी रिपोर्ट
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र भेजकर सार्वजनिक परिवहन बसों की असुरक्षित डिजाइन पर गंभीर चिंता जताई है. आयोग को मिली शिकायतों में आरोप लगाया गया है कि कई बसों में ड्राइवर केबिन को पूरी तरह अलग बनाया जा रहा है, जिससे आग लगने या आपात स्थिति में ड्राइवर और यात्रियों के बीच समय पर संवाद नहीं हो पाता.
नई दिल्ली, 29 नवंबर : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र भेजकर सार्वजनिक परिवहन बसों की असुरक्षित डिजाइन पर गंभीर चिंता जताई है. आयोग को मिली शिकायतों में आरोप लगाया गया है कि कई बसों में ड्राइवर केबिन को पूरी तरह अलग बनाया जा रहा है, जिससे आग लगने या आपात स्थिति में ड्राइवर और यात्रियों के बीच समय पर संवाद नहीं हो पाता. आयोग ने इसे यात्रियों की जान के लिए बड़ा खतरा बताया और इसे अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के मौलिक अधिकार का गंभीर उल्लंघन माना है.
शिकायत में कहा गया था कि हाल के दिनों में कई बसों में सफर के दौरान आग लगने की घटनाएं सामने आईं, जिनमें कई लोगों की मौत हो गई. आयोग की पीठ (जिसकी अध्यक्षता सदस्य प्रियंक कानूनगो कर रहे थे) ने मामले की गंभीरता को देखते हुए संरक्षण मानव अधिकार अधिनियम, 1993 की धारा 12 के तहत संज्ञान लिया और परिवहन मंत्रालय व केंद्रीय सड़क परिवहन संस्थान (सीआईआरटी) पुणे से दो सप्ताह के भीतर विस्तृत एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) मांगी. सीआईआरटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि राजस्थान परिवहन विभाग के अनुरोध पर की गई जांच में हादसे वाली बस में कई गंभीर कमियां मिलीं. यह भी पढ़ें : केरल में साइकिल के हैंडल पर लिपटा दिखा विशालकाय सांप, लोगों ने AI के जरिए की उसकी प्रजाति की पहचान (See Pic)
बस बॉडी निर्माण में मानकों का उल्लंघन किया गया था. स्लीपर बसों में ड्राइवर पार्टिशन डोर नियमों के खिलाफ है, फिर भी लगाया गया था. 12 मीटर से लंबी बसों में कम से कम 5 आपात निकास अनिवार्य हैं पर उपलब्ध नहीं थे. 2019 से अनिवार्य फायर डिटेक्शन एंड सप्रेशन सिस्टम (एफडीएसएस) बस में मौजूद नहीं था. स्लीपर कोच के स्लाइडर और चेसिस एक्सटेंशन जैसे खतरनाक हिस्से बगैर अनुमति लगाए गए थे. सीआईआरटी ने कई अहम सुझाव दिए. केंद्रीय सड़क परिवहन संस्थान का कहना है कि सभी स्लीपर कोचों में ड्राइवर पार्टिशन हटाया जाए, एफडीएसएस अनिवार्य रूप से लगाया जाए, 10 किलो के फायर एक्सटिंग्विशर चेक किए जाएं और नियमों के उल्लंघन वाले सभी बस बॉडी डिजाइन तत्काल बंद किए जाएं.
आयोग ने कहा कि 14 अक्टूबर को जिस बस में आग लगी, वह पूरी तरह नियमों की अनदेखी का परिणाम था. न केवल निर्माता और बॉडी बिल्डर, बल्कि फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने वाले अधिकारी भी गंभीर लापरवाही के दोषी हैं. आयोग ने इसे स्पष्ट रूप से क्रिमिनल नेग्लिजेंस करार दिया. आयोग ने कहा सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार सभी राज्यों को नियमों के सख्त पालन के लिए एडवाइजरी जारी करे. कोई भी बस ऑपरेटर या बॉडी बिल्डर सुरक्षा मानकों से बच न सके, इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर तंत्र तैयार किया जाए. सभी मुख्य सचिव सीआईआरटी की सभी सिफारिशों को राज्यभर में लागू करें. लापरवाह अधिकारियों और निर्माताओं पर तत्काल कार्रवाई हो. पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा व सहायता दी जाए. सभी राज्यों को दो सप्ताह के भीतर एटीआर भेजने का आदेश दिया गया है.