प्‍याज की किल्‍लत जल्द होगी दूर, महज 75 दिनों में तैयार होने वाली नई किस्‍म तैयार

हर साल मानसून के आखिरी दौर में जगह-जगह हुई भारी बारिश में फसल खराब होने की वहज से सब्जियों की आवक कमजोर हो जाती है. परिणामस्वरूप दाम असमान पर पहुंच जाते है. कुछ ऐसा ही हाल प्याज का भी होता है. अमूमन हर साल प्याज के दाम लोगों के आंसू निकालता है. लेकिन अब आने वाले समय में ऐसा नहीं होने की पूरी उम्मीद है.

प्याज I प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pxfuel)

नई दिल्ली: हर साल मानसून के आखिरी दौर में जगह-जगह हुई भारी बारिश में फसल खराब होने की वहज से सब्जियों की आवक कमजोर हो जाती है. परिणामस्वरूप दाम असमान पर पहुंच जाते है. कुछ ऐसा ही हाल प्याज (Onion Price) का भी होता है. अमूमन हर साल प्याज के दाम लोगों के आंसू निकालता है. लेकिन अब आने वाले समय में ऐसा नहीं होने की पूरी उम्मीद है. दरअसल प्याज की एक नई किस्म विकसित की गयी है, जो बोने के महज 75 दिनों में तैयार हो जाएगी. Onion Prices in Mumbai: त्योहारी सीजन में प्याज कि कीमतों ने एक बार फिर से रुलाया, मुंबई में दाम हुआ 80 से 90 रुपये किलो

मिली जानकारी के मुताबिक हरियाणा के करनाल स्थित राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान क्षेत्रीय केंद्र (एनएचआरडीएफ) ने चार साल के प्रयास के बाद प्‍याज की ऐसी किस्‍म तैयार की है, जो 75 दिन में खाने के लिए तैयार हो जाएगी. बताया जा रहा है कि अभी प्याज की यह किस्म परीक्षण स्तर पर है. साथ ही इसकी 50 किलो बीज किसानों को बांटी गई है. बाद में इन किसानों से प्याज की फसल की रोपाई से लेकर तैयार होने तक की सारी जानकारियां ली जाएगी.

संस्थान के उप निदेशक डा बीके दूबे (BK Dubey) ने दावा किया है कि यह नयी किस्म की प्याज सबसे कम दिन में तैयार होने वाली प्याज है. इसके साथ ही इस किस्म की प्याज से पैदावार भी बहुत अधिक होगी. उन्होंने बताया कि अगर कोई किसान इसे एक हेक्टेयर में बोता है तो केवल 75 दिनों में 350 से 400 क्विंटल की पैदावार आसानी से होगी.

नेशनल ब्यूरो आफ प्लांट एंड जेनेटिक रिसोर्स पूसा नई दिल्ली की ओर से इस किस्म को नेशनल आइडिंटिटी नंबर दिया जा चुका है. सब कुछ सही रहा तो जल्द ही नई किस्म की प्याज एनएचओ-920 नाम से किसानों को बेची जाएगी. दिसंबर महीने में इसकी भी किसान कर सकते है.

मिली जानकारी के मुताबिक इस किस्म के प्याज (एनएचओ-920) का भंडारण भी अन्य किस्मों की तुलना में अधिक समय तक किया जा सकता है. साथ ही इसका भंडारण भी आसान है. इसमें दड़ू निकलने की समस्या भी नहीं है.

उल्लेखनीय है कि इस साल साउथ और महाराष्ट्र में बारिश के कारण प्याज के फसल खराब हो गए, जिसके कारण देशभर के मार्केट में प्याज की कमी हो गयी. वहीं नई फसल आने में अभी समय है और जहां कहीं भी नई फसल आ रही है वो मांग के हिसाब से बहुत कम है. जिस वजह से आज भी प्याज के दाम आम जनता की जेब पर बोझ बढ़ा रहा है.

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