Maharashtra Suicide Cases 2023: NCRB के डेटा में बड़ा खुलासा, महाराष्ट्र में सबसे अधिक आत्महत्या के मामले; मनोचिकित्सकों ने बताया चिंता का विषय
(Photo Credits-X)

Maharashtra Suicide Cases 2023: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के ताज़ा आंकड़ों में बड़ा खुलासा हुआ है. भारत के प्रमुख राज्यों में महाराष्ट्र आत्महत्या के मामलों में सबसे आगे है. NCRB के अनुसार, 2023 में देशभर में कुल 1,71,418 आत्महत्या के मामले दर्ज हुए, जो 2022 की तुलना में 0.3% की मामूली वृद्धि दर्शाते हैं. महाराष्ट्र, जो देश के सबसे विकसित राज्यों में से एक है, में सबसे अधिक 22,687 आत्महत्या के मामले सामने आए हैं, यह आंकड़ा मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए गंभीर चिंता का विषय है, जिनका कहना है कि ऐसे मामलों में प्रशिक्षित चिकित्सकों की देखरेख में तुरंत इलाज की आवश्यकता होती है,

महाराष्ट्र में आत्महत्या के मामले क्यों?

मुंबई के सिर एच.एन. रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल के कंसल्टेंट मनोचिकित्सक डॉ. अशुतोष शाह ने बताया कि यह समझना मुश्किल है कि महाराष्ट्र जैसे विकसित राज्य में आत्महत्या के मामले सबसे अधिक क्यों हैं.  उन्होंने समझाया कि मस्तिष्क के दृष्टिकोण से आत्महत्या या आत्महत्या का प्रयास ‘फाइट-ऑर-फ्लाइट’ प्रतिक्रिया का चरम रूप है, जहां व्यक्ति मौत को ही एकमात्र विकल्प मानने लगता है. उनका कहना है कि मनोचिकित्सकों के लिए इसे ‘मेडिकल इमरजेंसी’ मानकर तत्काल इलाज करना बेहद जरूरी है. यह भी पढ़े: NCRB रिपोर्ट 2023: भारत में साइबर क्राइम 31% का भारी उछाल, एक साल में सड़क हादसों में 173826 लोगों की मौत

आत्महत्या के प्रमुख कारण

डॉ. शाह के अनुसार आत्महत्या के पीछे कई कारण होते हैं, जिनमें पारिवारिक समस्याएं और बीमारी सबसे प्रमुख हैं.  इसके अलावा:

  • नशे की लत – 7%

  • शादी से संबंधित विवाद – 5.3%

  • प्रेम संबंध – 4.7%

  • कर्ज या दिवालियापन – 3.8%

  • बेरोजगारी – 1.8%

  • परीक्षा में असफलता – 1.4%

  • किसी प्रियजन की मृत्यु – 1.3%

  • करियर से जुड़ी परेशानियां – 1.1%

  • संपत्ति विवाद – 1%

 शाह ने कहा कि सरकारी नीतियां ऐसे लोगों की पहचान और सहायता के लिए महत्वपूर्ण हैं, खासकर वे जो मानसिक विकार से पीड़ित हैं या सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर हैं. “पहचान के बाद जल्द इलाज और योग्य मनोचिकित्सकों की सहायता से जीवन बचाया जा सकता है।”

आत्महत्याएं  रोकी जा सकती है

कोलाबा स्थित HCG ICS खुबचंदानी कैंसर सेंटर की क्लिनिकल सायको-ऑन्कोलॉजिस्ट रहना विलियम ने बताया कि आत्महत्या के विचार अक्सर बातचीत में सामने आते हैं, जैसे – मौत के बारे में बातें करना, निराशा व्यक्त करना, परिवार से दूरी बनाना, मूड स्विंग्स, अपनी चीजें बांटना या रोजमर्रा के कामों में रुचि खो देना.

 मदद कर इसे रोका जा सकता है


 शाह ने कहा कि कैंसर रोगियों में आत्महत्या के कई कारण हो सकते हैं – अवसाद, चिंता, आर्थिक या सामाजिक दबाव – लेकिन ये पूरी तरह से रोकी जा सकती हैं. उनका कहना है कि जागरूकता, समय पर हस्तक्षेप और सही सहायता से कई लोगों की जान बचाई जा सकती है.