Muslim Exclusion Controversy: कर्नाटक हाई कोर्ट ने हिंदू कार्यकर्ता के खिलाफ एफआईआर पर लगाई रोक
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दक्षिण कन्नड़ जिले में मुस्लिम व्यापारियों को मंदिर परिसर में व्यापार करने की अनुमति देने के मुद्दे पर सांप्रदायिक नफरत फैलाने के लिए हिंदू कार्यकर्ता शरण पम्पवेल के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी पर स्थगन आदेश जारी किया.
बेंगलुरु, 20 अक्टूबर : कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने शुक्रवार को दक्षिण कन्नड़ जिले में मुस्लिम व्यापारियों को मंदिर परिसर में व्यापार करने की अनुमति देने के मुद्दे पर सांप्रदायिक नफरत फैलाने के लिए हिंदू कार्यकर्ता शरण पम्पवेल के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी पर स्थगन आदेश जारी किया. . मंगलुरु सिटी साउथ पुलिस ने प्रसिद्ध हिंदू कार्यकर्ता शरण पंपवेल के खिलाफ उस घोषणा के संबंध में एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें हिंदुओं से केवल उन हिंदू व्यापारियों की दुकानों में व्यापार करने के लिए कहा गया था, जिन्होंने अपनी दुकानों पर भगवा झंडे लगाए थे. पुलिस ने सांप्रदायिक सौहार्द को प्रभावित करने वाली गतिविधियों में शामिल होने का मामला दर्ज किया था.
न्यायमूर्ति टी.जी. शिवशंकर गौड़ा की अध्यक्षता वाली पीठ ने एफआईआर पर रोक जारी की और मंगलुरु दक्षिण पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर को नोटिस भी जारी किया. हिंदू कार्यकर्ता शरण पम्पवेल की ओर से बहस करने वाले वरिष्ठ वकील एम. अरुण श्याम ने अदालत को बताया कि एफआईआर में कोई आधार नहीं है. श्याम ने अदालत में कहा कि पुलिस द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर दर्ज किया गया मामला राजनीति से प्रेरित है और गलत इरादे से दर्ज किया गया है. वरिष्ठ वकील ने एफआईआर रद्द करने की भी मांग की. यह भी पढ़ें : प्रधानमंत्री द्वारा विद्युत ट्रांसमिशन लाइन के लोकार्पण पर विपक्ष ने उत्तराखंड सरकार को घेरा
प्रसिद्ध मंगला देवी मंदिर के प्रबंधन ने शुरुआती चरण में केवल हिंदू व्यापारियों को वार्षिक धार्मिक मेले के दौरान व्यापार करने की अनुमति दी थी. लेकिन व्यापारियों के एक समूह द्वारा इस पर सवाल उठाया गया और जिला अधिकारियों को प्रस्तुत किया गया. बाद में, मुस्लिम व्यापारियों को भी मंदिर के परिसर में व्यापार करने की अनुमति दी गई. लेकिन हिंदू कार्यकर्ताओं ने हिंदुओं के स्टालों पर भगवा झंडा फहराने को लेकर एक अभियान चलाया. लोगों से इन स्टालों से ही व्यापार करने का आह्वान भी किया गया. पुलिस ने आरोप लगाया कि 16 अक्टूबर को शरण पंपवेल और अन्य के नेतृत्व में हिंदू कार्यकर्ताओं द्वारा स्टालों पर भगवा झंडे फहराए गए थे. शरण पम्पवेल ने अपने खिलाफ एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.