पांच साल बाद मिलेंगे मोदी और शी, क्या सुधरेंगे भारत-चीन रिश्ते?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच ब्रिक्स सम्मेलन के इतर मुलाकात की घोषणा दोनों देशों के बीच 2020 से जारी तनाव के बाद एक बड़ा मोड़ है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच ब्रिक्स सम्मेलन के इतर मुलाकात की घोषणा दोनों देशों के बीच 2020 से जारी तनाव के बाद एक बड़ा मोड़ है. क्या दोनों देशों के रिश्ते सामान्य होने की तरफ लौट रहे हैं?भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने रूस के कजान शहर में पत्रकारों से बात करते हुए इस बात की पुष्टि की है कि 23 अक्टूबर को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक होगी. उन्होंने बताया कि बैठक का समय और अन्य ब्योरों पर अभी फैसला नहीं हुआ है.

मोदी और जिनपिंग के बीच पांच सालों बाद ऐसी बैठक हो रही है. इससे पहले आखिरी बार अक्टूबर 2019 में तमिलनाडु के महाबलीपुरम में दोनों नेता मिले थे. उसके कुछ ही महीनों बाद मई 2020 में लद्दाख के गलवान में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई मुठभेड़ के बाद से दोनों पड़ोसियों के रिश्ते बेहद खराब हो गए थे.

भारत और चीन के रिश्तों में एक बड़ा बदलाव?

मोदी और जिनपिंग की मुलाकात की घोषणा के एक ही दिन पहले भारत ने बताया था कि दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त लगाने को लेकर समझौता हो गया है. चीनी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने भी समझौते की पुष्टि की, लेकिन अपने बयान में गश्त लगाने का जिक्र नहीं किया.

इन घोषणाओं और दोनों नेताओं की मुलाकात को स्थिति में एक बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है. दोनों पक्षों ने अभी तक समझौते के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी है, लेकिन अगर एलएसी पर सभी विवादित इलाकों में दोनों सेनाएं एक-दूसरे के सामने से हट जाती हैं और शांतिपूर्ण रूप से गश्त लगाना शुरू कर देती हैं, तो दोनों देशों के रिश्ते सामान्य होने की राह पर बढ़ सकते हैं.

आर्थिक रिश्तों की बहाली का सवाल

बीते चार सालों में भारत ने कई आर्थिक क्षेत्रों में चीनी कंपनियों के लिए निवेश करने के नियम कड़े कर दिए हैं. सैकड़ों चीनी गेमिंग और ई-कॉमर्स ऐपों को बैन भी किया गया है. भारत ने इस बीच अमेरिका के नेतृत्व वाले समूह क्वॉड से भी नजदीकियां बढ़ाई हैं. क्वॉड को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव का मुकाबला करने की कोशिशों के हिस्से के रूप में देखा जाता है.

विशेषज्ञों का मानना है कि सीमा पर स्थिति के सामान्य होने के बाद अब चीन चाहेगा कि भारत उसके साथ आर्थिक रिश्ते बहाल करे और तेजी से बढ़ते भारतीय बाजार में चीनी कंपनियों को पहुंच बनाने दे. देखना होगा कि दोनों नेता जब कजान में मिलेंगे, तो उनके बीच किन विषयों पर बातचीत होगी.

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