आजादी के बाद पहली बार रेलवे नेटवर्क से जुड़ेगा मिजोरम
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

पूर्वोत्तर भारत का सीमावर्ती राज्य मिजोरम, देश की आजादी के करीब 78 साल बाद जल्दी ही देश के बाकी हिस्सों से रेलवे के जरिए जुड़ जाएगा.भौगोलिक बसावट और उग्रवाद की समस्या की वजह से इस इलाके में रेलवे नेटवर्क का विस्तार एक गंभीर चुनौती बना रहा. लेकिन इन चुनौती से पार पाते हुए अब म्यांमार और बांग्लादेश की सीमा से सटे इस राज्य तक रेलवे की पटरियां पहुंच गई हैं.

पूर्वोत्तर रेलवे के महाप्रबंधक (निर्माण) अरुण कुमार चौधरी डीडब्ल्यू को बताते हैं, "इलाके की भौगोलिक स्थिति के कारण इस रेलवे परियोजना का निर्माण एक कठिन चुनौती था. इलाके में चट्टान खिसकने की समस्या के कारण कई बार काम बंद रखना पड़ा. साइरांग रेलवे स्टेशन से कुछ पहले बने एक ब्रिज की ऊंचाई 104 मीटर है जो कुतुबमीनार से 42 मीटर ज्यादा है."

परियोजना के तहत 55 बड़े और 87 छोटे व मध्यम पुलों के अलावा 48 सुरंगों का निर्माण किया गया है. इस रूट में कुल चार स्टेशन हैं.

पहले परियोजना की लागत 6,547 करोड़ आंकी गई थी. लेकिन विभिन्न वजहों से काम बंद होने और फिर कोविड की वजह से इसमें देरी होती रही और लागत भी बढ़ती रही.

केके शर्मा ने डीडब्ल्यू से कहा, "यह परियोजना मिजोरम को रेलवे नेटवर्क में शामिल कर देगी. करीब 8,200 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना का काम वर्ष 2015 में शुरू हुआ था."

परियोजना को म्यांमार सीमा तक पहुंचाने की योजना है. इस रूट पर एक मई 2025 को ट्रेन संचालन का सफल परीक्षण किया जा चुका है. पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुताबिक, इस परियोजना के जुलाई में सामान्य रूप से शुरू होने की उम्मीद है.

पूर्वोत्तर में रेलवे परियोजना

रेलवे परियोजनाओं का संचालन और देख-करने वाले पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार ने इलाके के सामरिक महत्व को ध्यान में रखते हुए पूर्वोत्तर के तमाम राज्यों की राजधानियों को भी रेलवे नेटवर्क से जोड़ने की योजना बनाई है. इन परियोजनाओं के तहत कुल 1,500 किलोमीटर से अधिक लंबी पटरियां बिछाई जाएंगी.

इनमें से कई परियोजनाएं विभिन्न चरणों में हैं. असम, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा पहले से ही रेलवे नेटवर्क में शामिल हैं. अब मिजोरम भी इसमें शामिल हो जाएगा. इसके अलावा मणिपुर की राजधानी इंफाल को इस साल के आखिर तक और नागालैंड की राजधानी कोहिमा को वर्ष 2026 तक ब्रॉड गेज से जोड़ने पर काम चल रहा है.

मेघालय सरकार रेल परियोजना आगे क्यों नहीं बढ़ा रही है

पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी केके शर्मा डीडब्ल्यू को बताते हैं, "सिक्किम को रेलवे नेटवर्क में शामिल करने की परियोजना पर भी काम तेजी से चल रहा है. सिक्किम की राजधानी गंगटोक से तिब्बत सीमा पर स्थित नाथुला तक ब्रॉड गेज लाइन बिछाने के लिए भी सर्वेक्षण शुरू हो गया है."

केंद्र सरकार की 'लुक ईस्ट' नीति के तहत इलाके में कनेक्टिविटी और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई परियोजनाओं के तहत असम सीमा से लगे बैराबी से मिजोरम की राजधानी आइजल तक 51.38 किमी लंबी पटरियां बिछाने का काम पूरा हो गया है. अब स्टेशनों के निर्माण को अंतिम स्वरूप दिया जा रहा है. यह रेलवे नेटवर्क से जुड़ने वाली पूर्वोत्तर राज्यों की चौथी राजधानी होगी. इससे पहले असम के गुवाहाटी के अलावा अरुणाचल प्रदेश के नाहरलागून और त्रिपुरा की राजधानी अगरतला को रेलवे नेटवर्क से जोड़ा जा चुका है.

स्थानीय लोगों के लिए उम्मीदों की रेल

शर्मा कहते हैं कि यह परियोजना मिजोरम के लिए एक नई जीवनरेखा साबित होगी. इससे इलाके में पर्यटन को तो बढ़ावा मिलेगा ही, पूरे साल कनेक्टिविटी बनी रहेगी. इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. यात्रियों के अलावा इस परियोजना के जरिए माल की ढुलाई भी होगी. इसके अलावा सीमावर्ती राज्य होने की वजह से इस परियोजना का सामरिक महत्व भी है.

सिलचर के एक कॉलेज में बांग्ला विभाग के प्रोफेसर शांतनु कर डीडब्ल्यू से कहते हैं, "अब आइजल का सफर आसान हो जाएगा. छह घंटे का दुर्गम सफर नहीं करना होगा. इलाके के कई लोग रोजी-रोटी के लिए मिजोरम के विभिन्न इलाकों में रहते हैं. उनका जीवन आसान तो होगा ही, पर्यटकों की तादाद भी बढ़ने की उम्मीद है."

फिलहाल आइजल पहुंचने के लिए या तो हवाई मार्ग से या फिर असम की बराक घाटी स्थित सिलचर से सड़क मार्ग से छह घंटे का दुर्गम पहाड़ी सफर करना पड़ता है. सड़क मार्ग अक्सर बरसात के सीजन में जमीन धंसने के कारण बंद हो जाता है.

समाज विज्ञान की प्रोफेसर रहीं के लालम्पुई डीडब्ल्यू से कहती हैं, "यह परियोजना इस राज्य को रेलवे के नक्शे पर जगह दिलाएगी. इससे यहां आने वाले पर्यटकों की तादाद भी बढ़ेगी और व्यापारिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा. राज्य के लोग लंबे समय से रेलवे कनेक्टिविटी की मांग कर रहे थे."

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