कई बार दुर्गम जगहों पर शस्त्रों से लैस ट्रकों को आगे बढ़ने में बाधाएं आती हैं. नदी, नाले और कभी-कभी छोटी खायी पार करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में ब्रिजिंग सिस्टम की मदद ली जाती है. ये चलते-फिरते पुल कहीं भी, कभी भी लगा कर सेना को पार कराने का काम किया जाता है. अब तक ऐसी प्रणालियों को विदेशों से आयात किया जाता था, लेकिन अब स्वदेशी ब्रिजिंग सिस्टम भारतीय सेना का अंग बन चुका है.
आत्मनिर्भरता के प्रयासों को जारी रखते हुए भारतीय सेना ने 10 मीटर छोटे स्पैन पुलों के तीन सेटों को शामिल किया है. यह तीन सेट लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड ने मंगलवार को औपचारिक रूप से सेना को सौंपे थे. निजी उद्योग और डीआरडीओ के सहयोग से बनाये गए इस 'ब्रिजिंग सिस्टम' से सशस्त्र बलों को किसी भी ऑपरेशन के दौरान काफी मदद मिलेगी. यह भी पढ़े: भारतीय सेना ने विकसित किया ‘Secure Application for Internet’ नामक मैसेजिंग एप्लिकेशन, रक्षा मंत्री ने की सराहना
डीआरडीओ की सहायता से लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड ने 10-10 मीटर के 'ब्रिजिंग सिस्टम' बनाये हैं.इन छोटे स्पैन को जोड़कर कहीं भी बड़ा पुल तैयार किया जा सकता . एलएंडटी ने मंगलवार को 10 मीटर छोटे स्पैन पुलों के तीन सेट औपचारिक रूप से सेना को सौंपे थे. इसे शामिल करने के बाद अब सेना को किसी भी ऑपरेशन के दौरान कम समय में पुल तैयार करने में मदद मिलेगी.
यह उपलब्धि सशस्त्र बलों को स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित 'ब्रिजिंग सिस्टम'विदेशी निर्मित उपकरणों से दूर करने की दिशा में एक कदम है. सभी हितधारकों ने चुनौतियों को दूर करने और सरकार की 'मेक इन इंडिया' पहल को साकार करने के लिए ठोस प्रयास किए हैं, जिसका उद्देश्य भारतीय सेना की रक्षा जरूरतों को पूरा करने में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना है।