महाराष्ट्र में बैगन हुआ 20 पैसे प्रति किलो, नाराज किसानों ने खेत में लगे पौधों को उखाड़ फेंका

अहमदनगर जिले के रहाटा तहसील के सकूरी गांव के किसान राजेंद्र बावाके ने कहा कि उन्होंने बैगन की फसल पर दो लाख रूपये के साथ अपनी सारी ऊर्जा लगाई और उन्हें उससे महज 65 हजार रूपये मिले. इतनी कम आमदनी से हताश किसान ने रविवार को अपने खेतों में लगे बैगन के सभी पौधे उखाड़ फेंके.

बैगन (Photo Credits Wikimedia Commons

मुंबई: मेहनत और लगन से उपजाई गई बैगन की फसल के लिए प्रति किलोग्राम महज 20 पैसे की पेशकश से हताश महाराष्ट्र के एक किसान ने अपने खेतों में लगी बैगन की फसल नष्ट कर दी ताकि उसपर उसे और पैसे नहीं लगाने पड़े. अहमदनगर जिले के रहाटा तहसील के सकूरी गांव के किसान राजेंद्र बावाके ने कहा कि उन्होंने बैगन की फसल पर दो लाख रूपये के साथ अपनी सारी ऊर्जा लगाई और उन्हें उससे महज 65 हजार रूपये मिले. इतनी कम आमदनी से हताश किसान ने रविवार को अपने खेतों में लगे बैगन के सभी पौधे उखाड़ फेंके.

बावाके ने सोमवार को पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘मैंने दो एकड़ जमीन में बैगन की फसल लगाई थी। टपकन (ड्रिप) सिंचाई के लिए पाइप भी बिछाया था. उत्पाद बढ़ाने के लिए मैने खाद, कीटनाशक और अन्य आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया. इन सब पर कुल खर्च तकरीबन दो लाख रूपये का आया और मुझे इससे केवल 65 हजार रूपये की आमदनी हुई. उन्होंने कहा कि उनके ऊपर अभी 35 हजार रूपये का उधार है और उन्हें नहीं पता कि वह इसे चुकता करने के लिए यह धन कहां से लेकर आयेंगे. बावाके ने दावा किया कि जब उन्होंने अपने उत्पाद महाराष्ट्र के नासिक और गुजरात के सूरत में स्थित थोक बाजारों में बेचने की कोशिश की तो उन्हें केवल 20 पैसे प्रति किलोग्राम के हिसाब से कीमत मिली. यह भी पढ़े: किसान को 750 किलोग्राम प्याज के लिए मिले महज 1064 रूपये, PMO को मनी ऑर्डर भेज किया कड़ा विरोध

उन्होंने बताया, ‘‘इससे मैं हताश हो गया और अपने आप को आगे के नुकसान से बचाने के लिए मैने खेतों में लगे बैगन के सभी पौधों को नष्ट करने का निर्णय किया. किसान ने कहा वह नियमित रूप से साप्ताहिक आधार पर बैगन का कार्टन बेचते रहे हैं. उन्होंने बताया, ‘‘पिछले तीन चार महीनों में मुझे कभी अच्छी कीमत नहीं मिली और इसलिए मैने बैगन की खेती छोड़ने का मन बनाया. बावाके ने बताया कि उनके पास तीन गायें हैं और इन पशुओं के लिए चारा खरीदने में पैसे की आवश्यकता होती है. गौरतलब है कि नाशिक जिले का एक प्याज उत्पादक किसान ने प्याज की बहुत कम कीमत मिलने पर अपनी पूरी कमाई विरोध स्वरूप प्रधानमंत्री को भेज दी। किसान को उनके 750 किलो प्याज के लिए केवल 1064 रूपये मिले थे.

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