आंध्र प्रदेश: इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र Madhu Vajrakarur ने बनाया खास Wind Turbine, जो बिजली और स्वच्छ जल को कर सकता है उत्पन्न

आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र मधु वज्रकरुर भी बिजली और स्वच्छ पेयजल से वंचित लोगों में से एक हैं. उनके द्वारा डिजाइन किए गए 15 फुट लंबा पवन टर्बाइन वातावरण से नमी को इकट्ठा करता है और पीने का पानी उत्पन्न करता है. स्वच्छ पेयजल को उत्पन्न करने के लिए यह तांबे के पाइप की मदद से यह तीन चरण के फिल्टर तक पहुंचता है.

मधु वज्रकरुर (Photo Credits: Twitter)

दुनिया भर में अरबों लोगों के पास स्वच्छता (Sanitisation), बिजली (Electricity) और शुद्ध पेयजल (Clean Drinking Water) की कमी है. भारत में करीब 88 मिलियन लोग शुष्क जलवायु परिस्थियों के कारण, भूजल संदूषण (Groundwater Contamination) या कमी जैसे विभिन्न कारणों से स्वच्छ पेयजल से वंचित हैं. आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के अनंतपुर जिले (Anantpur District) के एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (Electrical Engineering) के छात्र मधु वज्रकरुर (Madhu Vajrakarur) भी बिजली और स्वच्छ पेयजल से वंचित लोगों में से एक हैं. वो ऐसे गांव से ताल्लुक रखते हैं, जहां जलापूर्ति का मुख्य स्रोत बोरवेल और पानी के टैंकर हैं. यहां बोलवेल से पानी निकाला जाता है, फिर उसे गर्म करके उसका इस्तेमाल किया जाता है. आलम तो यह है कि जब यहां बारिश नहीं होती है तो भूजल का स्तर गिर जाता है और लोग टैंकरों का पानी खरीदने पर मजबूर हो जाते हैं. ऐसे में इंजीनियरिंग के इस छात्र ने एक खास विंड टर्बाइन (Wind Turbine) बनाया है, जो बिजली और शुद्ध पेयजल को उत्पन्न कर सकता है.

मधु वज्रकरुर द्वारा डिजाइन किया गया 15 फुट लंबा पवन टर्बाइन वातावरण से नमी को इकट्ठा करता है और पीने का पानी उत्पन्न करता है. स्वच्छ पेयजल को उत्पन्न करने के लिए यह तांबे के पाइप की मदद से तीन चरण के फिल्टर तक पहुंचता है. दरअसल, हवा में मौजूद नमी को इकट्ठा करके पंखे के पीछे रखे ब्लोअर का उपयोग करके उसे पवन टर्बाइन फ्रेम में निर्देशित किया जाता है. एक बार जब यह ठंडी हवा लंबे फ्रेम में चली जाती है तो नमी को शीतलन कंप्रेसर में निर्देशित किया जाता है, जो हवा को पानी में तब्दील कर देता है. पानी को तब तांबे के पाइप के माध्यम से तीन चरण के फिल्टर में मेंबरेन फिल्टर, कार्बन फिल्टर और यूवी फिल्टर के माध्यम से पानी में मौजूद धूल कणों को इकट्ठा करने के लिए निर्देशित किया जाता है. इसके बाद आखिर में साफ पानी फ्रेम पर रखे एक नल के माध्यम से प्राप्त किया जाता है. मधु का कहना है कि पानी 40 लीटर की क्षमता के साथ एक बाहरी टैंक में भी एकत्र किया जा सकता है. यह भी पढ़ें: राजस्थान: हेल्थ वर्कर्स की मदद के लिए जयपुर की कंपनी ने बनाया रोबोट, थर्मल स्क्रीनिंग के साथ इन कामों में होगा मददगार

पवन टर्बाइन 30-किलोवाट क्षमता वाले एक इनवर्टर से जुड़ा है, जिसका इस्तेमाल मधु अपने घर में बिजली के पंखे, लाइट और प्लग-पॉइंट के लिए करते हैं. दरअसल, मधु ने पवन टर्बाइन को प्लास्टिक पाइप, लोहे की छड़ और कुछ अन्य तत्वों का इस्तेमाल करके विकसित किया है. बताया जाता है कि उन्होंने अक्टूबर 2020 के पहले सप्ताह में टर्बाइन बनाना शुरू किया और महज 15 दिनों में इसे बना भी लिया. इसे विकसित करने में कुल 1 लाख रुपए का खर्च आया है, जो उन्हें उनके माता-पिता ने अपनी सेविंग्स से दिया था.

हालांकि रूफटॉप विंड टर्बाइन बनाने वाले आर्किमिडीज ग्रीन एनर्जी के संस्थापक सूर्य प्रकाश गजाला का मानना है कि मधु का प्रयास सराहनीय है, लेकिन पवन टर्बाइन अच्छी गुणवत्ता का नहीं हो सकता है. उनका कहना है कि एक पवन टर्बाइन जो 1 लाख रुपए की लागत से बना है और 30 किलोवाट ऊर्जा का उत्पादन कर सकता है, वह अच्छी गुणवत्ता का नहीं हो सकता है और उच्च पवन दबावों का सामना करने में सक्षम नहीं हो सकता है. अच्छी गुणवत्ता वाले पवन टर्बाइन की न्यूनतम लागत 35 लाख रुपए से कम नहीं है.

गौरतलब है कि पवन टर्बाइन विकसित करने वाले मधु ने कक्षा दूसरी से ही इसे बनाने का सपना देखा था, लेकिन इसे हकीकत में तब्दील करने के लिए उनके पास अनुभव या तकनीक नहीं थी, लेकिन स्कूल में आयोजित विज्ञान प्रदर्शनियों के लिए कार्डबोर्ड का उपयोग करके उन्होंने इसके मॉडल संस्करण बनाए थे. उनका कहना है कि उन्होंने कॉलेज के सेकेंड ईयर में सीखा कि सौर ऊर्जा ग्रिड और स्वचालित स्ट्रीट लाइट कैसे बनाई जाती है. इससे उन्हें ऐसी तकनीक के साथ काम करने का व्यावहारिक ज्ञान मिला. यह भी पढ़ें: COVID-19: छत्तीसगढ़ के एक छात्र ने बनाया इंटरनेट से नियंत्रित होने वाला रोबोट, कोरोना मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर कर सकते हैं इसका इस्तेमाल

बता दें कि अक्टूबर 2020 में पीएम मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में पवन चक्कियों का जिक्र किया था जो पानी पैदा कर सकती हैं और यह भी बताया था कि इन पवन टर्बाइन को दूसरे देशों में कैसे तैनात किया जाता है. मधु का कहना है कि उन्हें इससे पवन टर्बाइन बनाने की प्रेरणा मिली और यूट्यूब पर वीडियो देखने के बाद उन्हें इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त हुई, जिसके बाद उन्होंने पवन टर्बाइन का निर्माण किया.

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