Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए 543 लोकसभा सीटों के लिए आम चुनाव सात चरणों में होगा जो 19 अप्रैल से शुरू होगा और 1 जून तक चलेगा, मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने आज दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुरुआत की घोषणा की. चुनाव के नतीजे 4 जून को घोषित किये जायेंगे. इसके साथ ही चार राज्यों सिक्किम, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे. सुरक्षा कारणों से जम्मू और कश्मीर की विधानसभा की चुनाव अभी नहीं होंगे. इसके साथ ही बिहार की 40 सीटों पर 7 चरणों में मतदान होगा, महागठबंधन और एनडीए के बीच कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है. लेकिन इन 5 हाईप्रोफाइल सीटों पर सबकी निगाहें टिकी है. यह भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान, 2019 की तुलना में 2024 के चुनावी कार्यक्रम में यह है बदलाव, यहां पढ़े पूरी खबर
बिहार की 40 सीटों पर वोटिंग होगी. यहां 19 अप्रैल को 4 सीटों, 26 अप्रैल को 5 सीटों, 7 मई को 5 सीटों, 13 मई को 5 सीटों, 20 मई को 5 सीटों, 25 मई को 8 सीटों और 1 जून को 8 सीटों पर मतदान होगा. इनमें से पांच निर्वाचन क्षेत्रों बेगुसराय, हाजीपुर, मोतिहारी, पटना साहिब और करकट पर ध्यान खींचेगा क्योंकि ये सब हाई प्रोफाइल सीट है.
बेगूसराय(Begusarai): अक्सर बेगुसराय ने अपनी मजबूत कम्युनिस्ट उपस्थिति और वैचारिक उत्साह के लिए राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करता रहा है. 2019 के चुनावों में, निर्वाचन क्षेत्र में स्थापित राजनीतिक दलों और उभरते सामाजिक-राजनीतिक आंदोलनों के बीच एक हाई-प्रोफाइल लड़ाई देखी गई. यहां का मुकाबला विचारधाराओं के टकराव और राजनीतिक रूप से जागरूक मतदाताओं की आकांक्षाओं का प्रतीक है. पिछले चुनाव में भाजपा के टिकट पर गिरिराज सिंह को बड़ी जीत मिली थी, जिन्होंने विवादों में घिरे युवा नेता कन्हैया कुमार को हराया था. इस बार की लड़ाई भी सेम होने की संभावना है लेकिन कन्हैया लेफ्ट का साथ छोड़ काँग्रेस में शामिल हो गए है.
हाजीपुर(Hajipur): बिहार के सबसे पुराने और सबसे महत्वपूर्ण शहरी केंद्रों में से एक के रूप में, हाजीपुर राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में रणनीतिक महत्व रखता है. राजनीतिक दल स्थानीय मुद्दों को संबोधित करने और मतदाताओं की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए विभिन्न समुदायों के समर्थन की होड़ करते हैं. इस सीट से लंबे समय तक एलजेपी के संस्थापक रामविलास पासवान लंबे समय तक संसद रहे लेकिन पिछले चुनाव में उन्होंने इस सीट को अपने भाई पशुपति कुमार पारस को दे दी थी, लेकिन रामविलास जी के देहांत के बाद बेटे चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस के बीच मनमुटाव के बाद यहां का लड़ाई भी रोमांचक हो गया है.
मोतिहारी(Motihari): प्रसिद्ध लेखक जॉर्ज ऑरवेल का जन्मस्थान और कृषि गतिविधि का केंद्र, मोतिहारी साहित्यिक विरासत को कृषि वास्तविकताओं के साथ मिश्रित करता है. यह निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व कृषि मंत्री राधामोहन सिंह लंबे समय से संसद है लेकिन बीजेपी के उम्र कैरेटेरिया से बाहर हो चुके है. जिसके वजह से उनके टिकट कटने का कयास लगाए जा रहे है. अगर वे अपना टिकट नहीं बचा पाते है तो इस सीट पर रोमांचक लड़ाई होने की संभावना होगी.
पटना साहिब(Patna Sahib): इतिहास और राजनीतिक महत्व से भरपूर, पटना साहिब बिहार की सामूहिक चेतना में एक विशेष स्थान रखता है. इस निर्वाचन क्षेत्र में राज्य की राजधानी, पटना और इसके आसपास के क्षेत्र शामिल हैं, 2019 में रवि शंकर प्रसाद ने फिल्म एक्टर शत्रुघन सिंह को हराकर सांसद बने थे, लेकिन इस बार पार्टी गलियारों में चर्चा है कि उनका टिकट कट चुका है. अगर कटता है. इस सीट पर भाजपा से किसे नए चेहरे के तौर पर उतारा जाएगा ये भी बड़ा मुद्दा है.
काराकाट(Karakat): बिहार के रोहतास जिले में स्थित काराकाट अपने मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्र में फैला हुआ है. राजनीतिक दल गठबंधन बनाते समय और जाति और समुदाय के आधार पर समर्थन जुटाते में लगे हुए है. पिछली बार यहां से जदयू से महाबली सिंह सांसद है. वही, उपेन्द्र कुशवाहा को एनडीए में वापसी के बाद इस सीट का महत्व बढ़ गया है, क्योंकि 2014 में उपेन्द्र कुशवाहा एनडीए में रहते हुए यहां से लोकसभा पहुंचें थे, उम्मीद ये भी की जा रही है कि इस बार फिर उनकी इस सीट पर चुनाव लड़ना ते हो गया है. इसका मतलब जदयू को ये सीट छोड़ना पड़ेगा. जो लगभग ते है.