लोकसभा चुनाव 2019: बिहार में क्या नीतीश के आगे झुकी बीजेपी!
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह (Photo credits: IANS

लोकसभा चुनाव 2019 (Loksabha Election 2019) के मद्देनजर बीजेपी ने बिहार (Bihar) में अपने सहयोगी दलों के बीच रविवार को सीटों का बंटवारा कर दिया था. इस दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि बिहार में अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी व जनता दल (यू) 17-17 सीटों पर और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) छह सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 29 सीटों पर चुनावी मैदान में उतरी थी जिसमें से उसे 22 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. वहीं, रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी 7 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और उसने 6 सीटों पर जीत दर्ज की थी. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने 2014 का लोकसभा चुनाव एनडीए से अलग लड़ा था और उसे केवल 2 सीटों पर ही जीत मिली थी.

अब सवाल उठता है कि पिछले लोकसभा चुनाव में सिर्फ 2 सीटें जीतने वाली जेडीयू को बीजेपी ने 17 सीटें क्यों दे दी और खुद (बीजेपी) 22 सीटों के बजाय 17 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार हो गई? कहीं बीजेपी ने बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को बड़ा भाई मानकर उसके सामने झुक तो नहीं गई? इस तरह के सवाल उठने लाजिमी हैं क्योंकि बिहार में अभी बीजेपी के 22 सांसद हैं और अगले चुनाव में वह 17 सीटों पर लड़ेगी यानी 5 सांसदों का टिकट कटना तय है. ऐसे में बीजेपी के सांसद बागी हो सकते हैं या फिर पार्टी में टूट की स्थिति भी बन सकती है.

बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी एनडीए की सीट शेयरिंग पर सवाल उठाए हैं. तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा कि जनादेश चोरी के बाद भी बीजेपी बिहार में इतनी मजबूत हुई कि 22 वर्तमान सांसद होने के बावजूद 17 सीट पर चुनाव लड़ेगी और 2 सांसद वाले नीतीश जी भी 17 सीट पर लड़ेंगे. अब समझ जाइये एनडीए के कितने पतले हालात हैं. यह भी पढ़ें- मणिपुर के सीएम ने कहा, पीएम मोदी जैसे नेशनल हीरो का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकता

बीजेपी ने बिहार में नीतीश कुमार और रामविलास पासवान को अपने साथ बनाए रखने के लिए बड़ा नुकसान उठाया है. जबकि नीतीश कुमार को सबसे अधिक फायदा मिला है और रामविलास पासवान का पुराना रुतबा कायम रहा है क्योंकि 6 लोकसभा सीटों के अलावा उन्हें बीजेपी ने राज्यसभा भेजने का भी वादा किया है. अब देखना है कि बिहार में एनडीए के घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग का यह फॉर्मूला बीजेपी को कितना फायदा पहुंचाती है.