नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने गुरुवार को केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर तंज कसते हुए कहा कि भगवा पार्टी को चुनाव में जीत दिलाने में भगवान राम मददगार नहीं होंगे. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि सवाल मंदिर, मस्जिद या गुरुद्वारे का नहीं है. यह राष्ट्र का प्रश्न है, देश में ये सारे धर्म हैं और इन धर्मो के लिए यहां जगह है. अब्दुला के इस बयान से पहले राज्यसभा में बीजेपी के सदस्य राकेश सिन्हा ने गुरुवार को कहा कि वह संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में अयोध्या में राम मंदिर को लेकर एक निजी विधेयक लाएंगे.
अब्दुल्ला ने यहां संवाददाताओं से कहा कि वे चुनाव हारने वाले हैं, क्योंकि उनको लगता है कि राम उनको चुनाव में विजय दिला देंगे. मतदान लोग करते हैं, राम नहीं.
भारत में 2019 में लोकसभा के लिए आम चुनाव होने से पहले इस साल मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव की तिथियों का एलान हो चुका है. उन्होंने कहा कि बीजेपी तेल के दाम में वृद्धि और डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट समेत देश की जनता के मुद्दों से भाग रही है.
उन्होंने कहा, पीएम मोदी ने जो 15 लाख रुपये का वादा किया था वह कहां है? पेट्रोल के दाम और डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट को देखिए जो 74 पर आ गया है. यह भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव 2019: बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए एकजुट हो रहा है विपक्ष, चंद्रबाबू नायडू ने शरद पवार और फारूक अब्दुल्ला से की मुलाकात
उन्होंने कहा कि ये सब लोगों में नफरत पैदा करते हैं. भारत को नफरत की जरूरत नहीं है. भारत में यह समझने की जरूरत है कि हम सबको एक साथ रहना है, चाहे आपका धर्म कोई भी हो. हम सब सम्मान के साथ रहना चाहते हैं, हम सम्मान के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
इससे पहले राकेश सिन्हा ने राम मंदिर के मसले पर निजी विधेयक लाने की अपनी मंशा की घोषणा करते हुए विपक्षी नेताओं को समर्थन करने की चुनौती दी. उन्होंने एक ट्वीट के जरिए सवाल किया- क्या राहुल गांधी, सीताराम येचुरी, लालू प्रसाद, मायावती अयोध्या पर निजी सदस्य विधेयक का समर्थन करेंगे? वे अक्सर तारीख (कब राम मंदिर का निर्माण शुरू होगा) पूछते हैं अब उनका दायित्व है.