Bank Privatization: बड़े पैमाने पर बैंकों के निजीकरण से फायदे से अधिक नुकसान हो सकता है: RBI लेख
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बड़े पैमाने पर निजीकरण से फायदे से अधिक नुकसान हो सकता है.
Disadvantages of Bank Privatization, मुंबई, 18 अगस्त: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बड़े पैमाने पर निजीकरण से फायदे से अधिक नुकसान हो सकता है. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) (आरबीआई) ने अपने एक लेख में आगाह करते हुए सरकार को इस मामले में ध्यान से आगे बढ़ने की सलाह दी है. PNB Alert: पंजाब नेशनल बैंक में है खाता? 31 अगस्त तक जरूर निपटा लें यह काम, वरना ब्लॉक हो जाएगा अकाउंट
आरबीआई के बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि निजी क्षेत्र के बैंक (पीवीबी) लाभ को अधिकतम करने में अधिक कुशल हैं. जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में बेहतर प्रदर्शन किया है.
लेख में कहा गया, ‘‘निजीकरण कोई नई अवधारणा नहीं है और इसके फायदे और नुकसान सबको पता है. पारंपरिक दृष्टि से सभी दिक्कतों के लिए निजीकरण प्रमुख समाधान है जबकि आर्थिक सोच ने पाया है कि इसे आगे बढ़ाने के लिए सतर्क दृष्टिकोण की आवश्यकता है.’’
लेख में कहा गया है कि सरकार की तरफ से निजीकरण की ओर धीरे-धीरे बढ़ने से यह सुनिश्चित हो सकता है कि वित्तीय समावेशन और मौद्रिक संचरण के सामाजिक उद्देश्य को पूरा करने में एक ‘शून्य’ की स्थिति नहीं बने.
लेख में कई अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा गया कि सरकारी बैंकों ने कार्बन उत्सर्जन कम करने वाले उद्योगों में वित्तीय निवेश को उत्प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इस प्रकार ब्राजील, चीन, जर्मनी, जापान और यूरोपीय संघ जैसे देशों में हरित बदलाव को प्रोत्साहन मिला है.
गौरतलब है कि सरकार ने 2020 में 10 राष्ट्रीयकृत बैंकों का चार बड़े बैंकों में विलय कर दिया था. इससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटकर 12 रह गई है, जो 2017 में 27 थी. केंद्रीय बैंक ने कहा कि लेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं और ये आरबीआई के विचार नहीं हैं.
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