Kolkata Rape Murder Case: कोलकाता दुष्कर्म मामले पर हरभजन का फूटा गुस्सा, सीएम ममता को पत्र लिखकर की जांच में तेजी दिखाने की मांग

क्रिकेटर से राजनेता बने हरभजन सिंह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दो पन्नों का पत्र लिखकर कोलकाता दुष्कर्म और हत्या पीड़िता को न्याय मिलने में हो रही देरी पर अपना दुख व्यक्त किया.

हरभजन सिंह(Photo Credit: Twitter/@harbhajan_singh)

कोलकाता, 18 अगस्त : क्रिकेटर से राजनेता बने हरभजन सिंह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दो पन्नों का पत्र लिखकर कोलकाता दुष्कर्म और हत्या पीड़िता को न्याय मिलने में हो रही देरी पर अपना दुख व्यक्त किया. साथ ही इस मामले पर तेजी से और निर्णायक तरीके से काम करवाने की अपील की.

कोलकाता में 9 अगस्त को हुई एक शर्मनाक घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है. सभी देशवासियों के मन में आक्रोश और विरोध पनप रहा है. हरभजन का ये पत्र उसी दुख और आक्रोश को दर्शा रहा है, क्योंकि इस मामले के करीब 9 दिन बीत चुके हैं लेकिन दोषी अभी भी कानून की पकड़ से बाहर हैं. कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के दुष्कर्म-मर्डर केस के विरोध में देशभर में डॉक्टरों के प्रोटेस्ट का आज 9वां दिन (18 अगस्त) है. 31 वर्षीय ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना पर हरभजन सिंह ने सीएम ममता बनर्जी से एक खास अपील की. यह भी पढ़ें : Jharkhand Politics Crisis: दिल्ली में चंपई सोरेन ने भाजपा में शामिल होने पर तोड़ी चुप्पी, एक्स हैंडल से हटाया पार्टी का नाम

जो कोलकाता में देश की बेटी के साथ हुआ, वो बहुत गलत हुआ. उसको इंसाफ दिलाने के लिए हम सबको आगे आना चाहिए, बजाय की इसे हम पॉलिटिकल मुद्दा बनाए. मेरी सभी अधिकारियों से विनती है कि इस मामले में उस बेटी को जल्द इंसाफ मिले, क्योंकि वो तो अब इस दुनिया में नहीं रही लेकिन हम नहीं चाहते हैं कि आने वाले समय में कोई ऐसा काम हो जिससे हमारा सिर शर्म से झुक जाए.

मैं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ममता दीदी, तमाम नेता और बड़े पदाधिकारी से बस यही कहना चाहता हूं कि ये वो समय है जब हम सबको एक ऐसा नियम बनाना चाहिए जिससे ऐसे घिनौने काम करने वालों की रूह कांप जाए. उनके मन में ये डर हो कि अगर वो ऐसा करेंगे तो कानून उनके साथ क्या करेगा.

हरभजन ने लिखा, "महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान से समझौता नहीं किया जा सकता. इस जघन्य अपराध के अपराधियों को कानून की पूरी सजा का सामना करना होगा और सजा उदाहरण बनाने वाली होनी चाहिए. सिर्फ इसी तरह हम अपने सिस्टम में विश्वास बहाल करना शुरू कर सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि ऐसी घटना दोबारा न हो और हम एक ऐसा समाज बनाएं जहां हर महिला सुरक्षित और संरक्षित महसूस करे. हमें खुद से पूछना चाहिए- अगर अभी नहीं तो कब? मुझे लगता है, अब एक्शन का समय आ गया है."

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