राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि 2020 में पंजाब में शौर्य चक्र विजेता शिक्षक बलविंदर सिंह संधू की हत्या के पीछे कनाडा स्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठन खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (KLF) के ऑपरेटिव्स का हाथ था. यह खुलासा उस समय हुआ है जब कनाडा और भारत के बीच संबंध खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर गंभीर तनाव में हैं.
कौन थे बलविंदर सिंह संधू?
बलविंदर सिंह संधू एक साहसी शिक्षक थे, जिन्होंने 1990 के दशक में पंजाब में उग्रवाद के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी थी. इसके लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था. अक्टूबर 2020 में, संधू की उनके घर के बाहर तरन तारन जिले के भिखीविंड गांव में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. यह घटना पूरे देश को झकझोर देने वाली थी क्योंकि संधू ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज को कभी नहीं दबाया.
एनआईए की जांच में क्या सामने आया?
NIA द्वारा दाखिल की गई 111 पृष्ठों की शपथपत्र के अनुसार, इस हत्या के पीछे कनाडा स्थित खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के सदस्य सुखमीत पाल सिंह उर्फ सनी टोरंटो और लखवीर सिंह उर्फ रोडे का हाथ था. लखवीर सिंह कुख्यात खालिस्तानी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले का भतीजा है. दोनों आरोपियों को एनआईए की चार्जशीट में नामित किया गया है, लेकिन वे फरार हैं.
शपथपत्र में यह भी कहा गया है कि सनी टोरंटो और लखवीर सिंह ने भारत में "खालिस्तान विरोधी तत्वों" को निशाना बनाने की साजिश रची थी, ताकि पंजाब में खालिस्तानी आंदोलन को पुनर्जीवित किया जा सके. इसके लिए उन्होंने चरमपंथी युवाओं से संपर्क किया और संधू की हत्या की योजना बनाई.
कनाडा में बैठे आतंकियों की साजिश
एनआईए के अनुसार, सनी टोरंटो ने पंजाब में कुछ चरमपंथी युवाओं को संगठित किया, जिनमें इंदरजीत सिंह उर्फ इंदर प्रमुख था. इसका उद्देश्य था, खालिस्तानी आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए बलविंदर सिंह संधू जैसे लोगों की हत्या करना, जो खालिस्तान समर्थक विचारधारा का विरोध करते थे.
एनआईए ने यह भी कहा कि खालिस्तान लिबरेशन फोर्स का मुख्य उद्देश्य सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से एक अलग खालिस्तान राज्य का निर्माण करना है. उनके अनुसार, इस संगठन के नेताओं का मानना है कि वे समाज को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करके पंजाब में आतंकवाद को फिर से जिंदा कर सकते हैं.
खालिस्तानी आंदोलन को पुनर्जीवित करने की कोशिश
NIA की शपथपत्र में यह साफ तौर पर उल्लेख किया गया है कि KLF के नेता उन व्यक्तियों और संगठनों को निशाना बना रहे हैं, जो खालिस्तानी विचारधारा और जरनैल सिंह भिंडरावाले के खिलाफ हैं. बलविंदर सिंह संधू भी इसी साजिश के तहत निशाने पर थे, क्योंकि वे खालिस्तान समर्थक विचारधारा के प्रबल विरोधी थे.