केरल: हाथी मालिकों के लिए लॉकडाउन बना परेशानी का सबब, त्योहारों के सीजन में कार्यक्रम रद्द होने से नहीं मिला कोई काम, गहराया रोजी-रोटी का संकट
केरल के कोझिकोड में हाथी मालिकों के लिए लॉकडाउन का समय मुश्किल भरा साबित हो रहा है. दरअसल, लॉकडाउन के चलते बीते दिनों त्योहार के सीजन में कई कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया, जिसके चलते हाथी मालिकों को कोई काम नहीं मिला. रोजगार ठप होने की वजह से न सिर्फ उनके सामने रोजी-रोटी का संकट है, बल्कि हाथियों को खिलाना भी मुश्किल होता जा रहा है.
कोरोना वायरस (Coronavirus) का कहर पूरी दुनिया में जारी है, जिससे निपटने के लिए दुनिया के तमाम देश लड़ाई लड़ रहे हैं. कोविड-19 (COVID-19) वायरस के प्रसार की रोकथाम के लिए सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) और लॉकडाउन (Lockdown) का सहारा लिया जा रहा है, जिसके चलते सामूहिक तौर पर किसी जगह पर लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगाई गई है. इसके साथ ही त्योहारों को धूमधाम से मनाए जाने और सार्वजनिक कार्यक्रमों के आयोजन पर भी बैन लगाया गया है. कोरोना वायरस लॉकडाउन (Coronavirus Lockdown) के चलते दिहाड़ी मजदूरों और श्रमिकों को खासा दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं, क्योंकि कामकाज ठप होने की वजह से उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. कुछ ऐसा ही हाल है केरल के हाथी मालिकों का.
केरल (Kerala) के कोझिकोड में हाथी मालिकों (Elephant Owners) के लिए लॉकडाउन का समय मुश्किल भरा साबित हो रहा है. दरअसल, लॉकडाउन के चलते बीते दिनों त्योहार के सीजन में कई कार्यक्रमों को रद्द कर दिया गया, जिसकी वजह से हाथी मालिकों को कोई काम नहीं मिला. हाथी मालिक मोहम्मद नजील का कहना है कि हाथी को केले, नारियल, अनानास खिलाने पड़ते हैं, लेकिन रोजगार ठप होने की वजह से न सिर्फ हमारे सामने रोजी-रोटी का संकट है, बल्कि हाथियों को खिलाना भी मुश्किल होता जा रहा है. यह भी पढ़ें: लॉकडाउन का असर: प्रयागराज के संगम घाट पर सन्नाटा, पिंडदान व अस्थि पूजन की अनुमति देने के लिए कर्मकांडी पंडितों ने लगाई सरकार से गुहार
हाथी मालिकों के सामने रोजी-रोटी का संकट
गौरतलब है कि लॉकडाउन के दौरान बेबसी और लाचारी की कई तस्वीरें देश के विभिन्न हिस्सों से लगातार सामने आ रही हैं. कोरोना वायरस के खिलाफ जारी लॉकडाउन के कारण उद्योग-धंधे, कारखाने, पर्यटन स्थल और धार्मिक स्थल बंद हैं, जिससे अधिकांश लोगों का कामकाज ठप हो गया है, उन्हें कोई काम नहीं मिल रहा है. ऐसे में उनके सामने अपने परिवार वालों के लिए भोजन का जुगाड़ करना मुश्किल होता जा रहा है.