तमिलनाडु: करूर भगदड़ में अब तक 42 लोगों ने गंवाई जान, आखिर कौन है इन मौतों का जिम्मेदार?
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Tamil Nadu, Karur Stampede: 27 सितंबर 2025 को तमिलनाडु के करूर जिले में तमिलगा वेट्ट्री कझगम (TVK) के अध्यक्ष और अभिनेता से राजनेता बने विजय की एक रैली के दौरान भगदड़ मच गई, जिसके परिणामस्वरूप कम से कम 42 लोगों की मौत हो गई और 60 से अधिक लोग घायल हो गए. इस दुखद घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है, और विभिन्न नेताओं ने पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने घटना की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने और मृतकों के परिवारों को 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है.

करूर के वेलुसम्यपुरम में आयोजित यह रैली विजय की राज्यव्यापी राजनीतिक यात्रा का हिस्सा थी, जो उनकी पार्टी TVK को तमिलनाडु की राजनीति में एक मजबूत ताकत के रूप में स्थापित करने के लिए थी. पुलिस और स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, आयोजकों ने लगभग 10,000 लोगों की भीड़ की उम्मीद जताई थी, लेकिन लगभग 27,000 लोग एकत्र हुए, जिसके कारण स्थिति अनियंत्रित हो गई. रैली दोपहर 12 बजे शुरू होने वाली थी, लेकिन विजय के देर से पहुंचने और भीड़ के सुबह 9 बजे से जमा होने के कारण हालात और बिगड़ गए.

रिपोर्ट्स के अनुसार, भगदड़ तब शुरू हुई जब भीड़ में एक नौ साल की लड़की के लापता होने की खबर फैली, जिससे अफरा-तफरी मच गई. इसके अलावा, संकरे प्रवेश मार्ग, गर्मी और भीड़ का दबाव भी इस त्रासदी का कारण बना. कई लोग बेहोश हो गए, जिसके बाद भीड़ में भगदड़ मच गई, और लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे. इस दौरान विजय ने मंच से पुलिस और आपातकालीन सेवाओं को सहायता के लिए बुलाया, लेकिन स्थिति को नियंत्रित करना मुश्किल हो गया.

हताहत और चिकित्सा सहायता

मौतें: नवीनतम अपडेट के अनुसार, इस भगदड़ में 42 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 9 पुरुष, 16 महिलाएं और 6 बच्चे शामिल हैं.

घायल: 60 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिनमें से कई को करूर और आसपास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. नमक्कल और सेलम जिलों से डॉक्टरों को बुलाया गया है, और निजी अस्पतालों को मुफ्त इलाज प्रदान करने का निर्देश दिया गया है.

चिकित्सा प्रतिक्रिया: तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री मा सुब्रमण्यम और पूर्व मंत्री वी सेंथिल बालाजी ने स्थिति का जायजा लिया और घायलों को तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए कदम उठाए.

सरकार और नेताओं की प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री एमके स्टालिन: स्टालिन ने करूर में स्थिति को "चिंताजनक" बताया और 28 सितंबर को व्यक्तिगत रूप से पीड़ितों के परिवारों से मिलने के लिए करूर पहुंचे. उन्होंने एक उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया, जिसकी अध्यक्षता हाई कोर्ट की सेवानिवृत्त जज जस्टिस अरुणा जगदीसन करेंगी. इसके अलावा, मृतकों के परिवारों को 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और घायलों के लिए मुफ्त इलाज की घोषणा की गई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: पीएम मोदी ने घटना को "बेहद दुखद" करार देते हुए ट्वीट किया, "करूर, तमिलनाडु में एक राजनीतिक रैली के दौरान हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना बहुत दुखद है. मेरी संवेदनाएं उन परिवारों के साथ हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है. मैं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं."

अन्य नेता: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू सहित कई नेताओं ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं.

विजय की प्रतिक्रिया: विजय ने एक भावनात्मक ट्वीट में कहा, "मेरा दिल टूट गया है. मैं असहनीय और अवर्णनीय दर्द में हूं. मैं करूर में अपने भाइयों और बहनों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं." हालांकि, उनकी ओर से तत्काल कोई बयान न देने और सीधे चेन्नई लौटने के लिए उनकी आलोचना भी हुई.

कानूनी कार्रवाई

करूर टाउन पुलिस ने TVK के करूर पश्चिम जिला सचिव वीपी मथियाझगन के खिलाफ एक मामला दर्ज किया है. प्रारंभिक जांच में आयोजकों द्वारा सुरक्षा निर्देशों का उल्लंघन और भीड़ प्रबंधन में कमी को इस त्रासदी का कारण बताया गया है. फोरेंसिक टीमें घटनास्थल की जांच कर रही हैं, और विशेषज्ञों का कहना है कि संकरे प्रवेश मार्ग और उच्च तापमान ने स्थिति को और खराब किया.

आलोचना और सुरक्षा चिंताएं

यह घटना तमिलनाडु में बड़े पैमाने पर आयोजित होने वाले राजनीतिक समारोहों में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा उपायों पर सवाल उठाती है. विशेषज्ञों का कहना है कि आयोजकों ने भीड़ के आकार को कम करके आंका और पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था नहीं की. इससे पहले भी TVK के आयोजनों में सुरक्षा संबंधी समस्याएं सामने आई थीं, जैसे अगस्त 2025 में एक प्रशंसक की बिजली के झटके से मौत.

करूर भगदड़ तमिलनाडु के राजनीतिक परिदृश्य में एक काला अध्याय बन गया है. यह घटना बड़े पैमाने पर सार्वजनिक आयोजनों में बेहतर योजना, भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा उपायों की आवश्यकता को रेखांकित करती है. सरकार और प्रशासन अब पीड़ितों के परिवारों को सहायता प्रदान करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठा रहे हैं.