
बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर 4 जून को IPL विजय जुलूस के दौरान मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत और 56 से अधिक घायल होने के बाद कर्नाटक सरकार ने सार्वजनिक कार्यक्रमों को लेकर कड़ा कानून लाने की तैयारी शुरू कर दी है. सरकार ने ‘कर्नाटक क्राउड कंट्रोल बिल, 2025’ का मसौदा तैयार किया है, जिसे आगामी कैबिनेट बैठक में अंतिम मंजूरी दी जाएगी. यह कानून ऐसे आयोजनों पर लागू होगा जो राजनीतिक रैलियों, कॉन्फ्रेंस, मेले (जत्रा), आदि जैसे बड़े सार्वजनिक जमावड़ों से जुड़े होंगे. इसका उद्देश्य आयोजकों की जवाबदेही तय करना और जन सुरक्षा सुनिश्चित करना है.
बिना अनुमति भीड़ जुटाने पर जेल और जुर्माना
प्रस्तावित कानून के अनुसार, अगर कोई आयोजक बिना पूर्व अनुमति कार्यक्रम करता है, या भीड़ को संभालने में असफल रहता है, तो उसे तीन साल तक की जेल, 50 हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. इतना ही नहीं, अगर कार्यक्रम में मौत, चोट या भगदड़ होती है, तो आयोजक को आपराधिक रूप से उत्तरदायी ठहराया जाएगा, भले ही वह जानबूझकर हो या लापरवाही से.
धार्मिक आयोजनों को नहीं किया जाएगा शामिल
यह कानून धार्मिक और पारंपरिक आयोजनों जैसे – रथोत्सव, जत्रा, उरुस, पल्लकी उत्सव या किसी भी जाति-धर्म विशेष के धार्मिक आयोजनों पर लागू नहीं होगा. सरकार ने स्पष्ट किया है कि ये आयोजनों की परंपरा और आस्था को देखते हुए कानून के दायरे से बाहर रखे गए हैं.
गैर-जमानती और गैर-संज्ञेय अपराध होगा उल्लंघन
यह बिल ऐसे अपराधों को गैर-जमानती और गैर-संज्ञेय (non-bailable & non-cognisable) की श्रेणी में डालता है, जिनकी सुनवाई प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा की जाएगी. इसके अलावा जो लोग इस तरह के आयोजनों में अपराध में सहायता करते हैं, उनके खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है.
अन्य अहम विधेयक भी हुए पेश
सिर्फ क्राउड कंट्रोल ही नहीं, सरकार ने इस बैठक में तीन अन्य अहम विधेयक भी प्रस्तावित किए:
- रोहित वेमुला विधेयक, 2025: उच्च शिक्षा संस्थानों में जातीय भेदभाव को रोकने के लिए. दोषी पाए जाने पर 1 लाख रुपये मुआवजा और 1 साल की जेल का प्रावधान.
- फेक न्यूज़ विरोधी विधेयक, 2025: गलत जानकारी फैलाने पर रोक लगाने के लिए.
- हेट स्पीच और हेट क्राइम्स रोकथाम विधेयक, 2025: नफरती बयानों पर सख्त कार्रवाई के लिए.
कर्नाटक सरकार की यह पहल जन सुरक्षा और सामाजिक जिम्मेदारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. बेंगलुरु जैसे शहरों में बड़ी संख्या में होने वाले आयोजनों को ध्यान में रखते हुए यह विधेयक अव्यवस्था, भगदड़ और जानमाल की हानि से बचाने का प्रयास है.