MLA हाजी इशराक खान ने पेश की गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल, कांवड़ियों के दबाए हाथ-पैर, देखें तस्वीरें
सावन मास के तीसरे सोमवार पर आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने विधायक हाजी इशराक खान के साथ एक कांवड़ कैंप का जायजा लिया.
नई दिल्ली: सावन मास के तीसरे सोमवार पर आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) अपने विधायक हाजी इशराक खान ( Haji Ishraq Khan) के साथ एक कांवड़ कैंप ( Kanwar Camp) का जायजा लिया. इस दौरान एक ऐसा नजारा दिखा जो कि धर्म के नाम पर देश बांटने वालों के लिए करारा जवाब था. दरअसल आप विधायक खान ने शिविर में मौजूद कांवड़ियों के हाथ-पैर दबाकर गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की.
मिली जानकारी के मुताबिक पूर्वी दिल्ली के शाहदरा जीटी रोड पर दिलशाद गार्डन स्थित कांवड़ शिविर में सीलमपुर के विधायक और दिल्ली हज कमेटी के पूर्व चेयरमैन हाजी इशराक खान ने कांवड़ियों की सेवा करने के भाव से हाथ और पैर दबाए. बताया जा रहा है कि इस दौरान उन्होंने दोनों हाथ उठाकर जय बम-बम भोले और जय श्रीराम के जयकारे भी लगाए.
आप नेता इशराक खान ने कांवड़ियों से आशीर्वाद लेते हुए कहा कि भारत की पहचान एकता है, यहां हर मजहब और जाति के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं. हिंदू हो या मुस्लिम सभी के पूर्वज एक ही हैं. कोई धर्म किसी से बैर रखना नहीं सिखाता है, आम चाहे किसी भी धर्म से संबंध रखते हो लेकिन हर धर्म की इज्जत करनी चाहिए.
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वहीं, अपने बीच सीएम केजरीवाल और विधयक खान को पाकर शिव भक्त भी बेहद उत्साहित दिखे. इस मौके पर कई श्रधालुओं ने अपने फोन से जमकर सेल्फी खिंची. दोनों नेताओं ने कांवड़ियों के साथ भोजन भी किया और भगवान शिव की आरती भी की.
गौरतलब हो कि दिल्ली सरकार ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए राष्ट्रीय राजधानी में 173 कांवड़ शिविर लगाये हैं. इन शिविरों में कांवड़ियों को खाद्य पदार्थ, पानी, प्राथमिक उपचार और रात में रूकने की सुविधाएं दी जा रही है.
कुछ दिन पहले ही उत्तर प्रदेश के शामली जिले में पुलिस अधीक्षक अजय कुमार ने एक कांवड़िए के पैरों की मालिश करते हुए कैमरे में कैद हुए थे. इस वीडियो को अपने आधिकारिक ट्विटर अकांउट पर साझा करते हुए शामली पुलिस ने लिखा, "अजय कुमार ने जिले में विशेष रूप से कांवड़ियों के लिए स्थापित एक नए चिकित्सा शिविर का उद्घाटन किया. अधिकारी ने चिकित्सा शिविर में आने वाले कांवड़ियों को 'सेवा' भी दी."