जम्मू-कश्मीर: कांग्रेस ने कहा, महबूबा मुफ्ती राज्यपाल के फैसलों को कोर्ट में चुनौती दें

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैफुद्दीन सोज ने जांच एजेंसी एनआईए से बात करते हुए कहा, कि ''पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को इस मामले को लेकर कोर्ट जाना चाहिए

जम्मू-कश्मीर में गहमागहमी हुई तेज ( फाइल फोटो )

जम्मू-कश्मीर की राजनीति ने उस वक्त हड़कंप मच गया जब राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राज्य की विधानसभा ही भंग कर दी. राज्यपाल यह फैसला उस वक्त लिया जब पीडीपी की अगुवाई में बुधवार को कुछ पार्टियों ने सरकार बनाने का न्योता भेजा था. वहीं राज्यपाल के इस फैसले के बाद अब नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस का कहना है कि अगर उन्हें विधानसभा भंग करना था तो पहले ही क्यों नहीं किया? वहीं इस मामले को लेकर कांग्रेस ने कहा है कि महबूबा मुफ्ती को राज्यपाल के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाना चाहिए.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैफुद्दीन सोज ने जांच एजेंसी एनआईए से बात करते हुए कहा, कि ''पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को इस मामले को लेकर कोर्ट जाना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्यपाल ने राजनीतिक इशारे पर राज्य की विधानसभा को भंग किया है. बता दें कि इससे पहले मुख्यधारा के तीन दलों ने साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया गया, वहीं, इसका विरोध करते हुए भारतीय जनता पार्टी समर्थित पीपल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने भी सरकार बनाने का दावा पेश किया था.

बता दें कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक संक्षिप्त बयान में घोषणा किया था की कि वे जम्मू और कश्मीर के संविधान से मिली शक्तियों का उपयोग करते हुए विधानसभा को भंग कर रहे हैं, जिसका कार्यकाल अभी दो साल बाकी था. विधानसभा को भंग करने की घोषणा से तुरंत पहले पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा किया था. वहीं, बीजेपी भी पीडीपी के विद्रोही विधायकों और सज्जाद लोन के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश में जुटी थी.

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यह है पूरा मामला

पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को पत्र लिखकर कहा था कि कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस ने उनकी पार्टी को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने का फैसला किया है. जिसके बाद लोन ने इसका विरोध करते हुए राज्यपाल को पत्र लिख कर बीजेपी की मदद से सरकार बनाने का दावा पेश किया. उन्होंने 18 विधायकों के साथ बीजेपी के 25 विधायकों की मदद से सरकार बनाने का दावा पेश किया और कहा कि यह बहुमत से अधिक है.

वहीं, मुफ्ती ने अपने पत्र में लिखा कि उनकी पार्टी के 29 विधायकों के अलावा नेशनल कांफ्रेंस के 15 और कांग्रेस के 12 विधायकों को मिलाकर उनकी संख्या 56 हो जाती है. महबूबा ने राज्यपाल (जो शादी समारोह में शामिल होने के लिए चंडीगढ़ में थे) को भेजे पत्र में लिखा, "चूंकि मैं श्रीनगर में हूं. इसलिए तुरंत आपसे मिलना संभव नहीं होगा. इसलिए हम सरकार बनाने के दावे के लिए आपकी सुविधा के मुताबिक आपसे जल्द मुलाकात का समय मांगते हैं. लेकिन बाद में गवर्नर द्वारा विधानसभा भंग कर दिया गया.

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