Jammu and Kashmir: जम्मू में एके-47 हथियारों के साथ देखे गए संदिग्ध, सुरक्षाबलों ने चलाया तलाशी अभियान

जम्मू में ग्रेटर कैलाश के पास सूखी नहर में बीती रात कैंप ड्रेस पहने तीन लोगों को कथित तौर पर एके-47 जैसे हथियारों के साथ देखा गया. इसके बाद सुरक्षाबलों ने तलाशी अभियान चलाया. तलाशी अभियान रात 10:15 बजे समाप्त हुआ.

(Photo : X)

जम्मू, 3 अगस्त : जम्मू में ग्रेटर कैलाश के पास सूखी नहर में बीती रात कैंप ड्रेस पहने तीन लोगों को कथित तौर पर एके-47 जैसे हथियारों के साथ देखा गया. इसके बाद सुरक्षाबलों ने तलाशी अभियान चलाया. तलाशी अभियान रात 10:15 बजे समाप्त हुआ. इस दौरान सुरक्षाबलों को कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला. अधिकारियों ने नरवाल की ओर चौकियों को मजबूत करने की सलाह दी है.

बता दें कि 30 जुलाई को भारतीय सेना ने पुंछ जिले से हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी को गिरफ्तार किया था. आतंकी की पहचान मोहम्मद खलील के रूप में हुई थी. राष्ट्रीय राइफल की रोमियो फोर्स को हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी मोहम्मद खलील के पुंछ के मंगनार गांव में छिपे होने की जानकारी मिली थी. इसके बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन चलाकर उसे गिरफ्तार किया था. आतंकी खलील के पास से एक विदेशी पिस्टल भी बरामद की गई थी. यह भी पढ़ें : कोचिंग सेंटर मौत मामला: अदालत ने बेसमेंट के सह-मालिकों की याचिका का निपटारा किया

इस बीच जम्मू-कश्मीर में हो रही घुसपैठ को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को बीएसएफ के दो वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें उनके पदों से हटा दिया है. डीजी बीएसएफ नितिन अग्रवाल और स्पेशल डीजी वाईबी खुरानिया को उनके पदों से हटाकर उनके मूल कैडर में वापस भेज दिया गया है जम्मू-कश्मीर में पिछले एक साल से हो रही लगातार आतंकियों की घुसपैठ, डीजी बीएसएफ और स्पेशल डीजी बीएसएफ को हटाने की मुख्य वजह है. जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ को लेकर भारत सरकार का यह सबसे बड़ा प्रशासनिक एक्शन है, जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों पर गाज गिरी है.

पिछले एक महीने में इन दोनों अधिकारियों ने जम्मू-कश्मीर, अंतरराष्ट्रीय सीमा और लाइन ऑफ कंट्रोल का दौरा किया था और अहम बैठकों में हिस्सा लिया था. इसके अलावा पंजाब सेक्टर से लगातार हो रही आतंकी घुसपैठ को प्रभावशाली ढंग से ना काबू पाना भी इस एक्शन की बड़ी वजह है. पिछले कई सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब दो वरिष्ठ अधिकारियों को इस तरीके से हटाया गया है, जो किसी अर्धसैनिक बलों को लीड कर रहे थे. यह घटना सुरक्षा बलों के अंदर की संरचना और प्रशासनिक निर्णयों पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है.

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