दुनिया के क्रूर तानाशाह जिनकी सच्चाई हर कोई जानना चाहेगा, किम जोंग भी है शामिल
लोकतंत्र में तानाशाही विचारधारा का कोई स्थान नहीं होना चाहिए. तानाशाही लोगों की ना केवल स्वतंत्रता का खून करती है बल्कि उस देश की अर्थव्यवस्था को भी जमीन में धंसा देती है. ऐसा कहा जाता है की लोकतंत्र की खामियों के कारण ही तानाशाह पैदा होते हैं.
लोकतंत्र में तानाशाही विचारधारा का कोई स्थान नहीं होना चाहिए. तानाशाही लोगों की ना केवल स्वतंत्रता का खून करती है बल्कि उस देश की अर्थव्यवस्था को भी जमीन में धंसा देती है. ऐसा कहा जाता है की लोकतंत्र की खामियों के कारण ही तानाशाह पैदा होते हैं. कई बार धरती को आम नागरिकों के खून से लथपथ कर भी यह पनपाया जाता है. हालांकि इस तरह की विचारधारा बहुत अधिक समय तक नहीं टिक पाती, जैसा कि सोवियत संघ या जर्मन का हुआ या जैसा की इराक का हुआ और जैसा कि सीरिया का हो गया.
उमर अल-बशीर (सूडान)
उमर अल-बशीर वर्तमान में सूडान की सत्ता में एकमात्र तानाशाह है जो हजारों लोगों की निर्मम हत्या के लिए जिम्मेदार है. बशीर ने वर्ष 1989 में हुए रक्तहीन तख्तापलट के बाद खुद को सूडान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया था. तख्तापलट के बाद सत्ता में आने पर उन्होंने देश के प्रधानमंत्री पद तक को समाप्त कर दिया था. बशीर सूडान में वर्ष 2003 में हुए दारफुर नरसंहार के लिए अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत (आईसीसी) के वांछित अपराधी भी हैं. आईसीसी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से बशीर के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट पर अमल किये जाने की अपील भी की है. इस संघर्ष में लगभग 300000 लोग मारे गए थे.
किम जोंग-उन (उत्तर कोरिया)
किम जोंग-उन अपनी सनक और क्रूरता के लिए दुनियाभर में प्रसिद्द है. इसने 28 दिसम्बर 2011 को अपने आपको तानाशाह बना लिया और उसकी आधिकारिक घोषणा भी कर दी. अपनी विध्वंसक परमाणु हथियारों और उसके प्रति महत्वाकांक्षाओं के लिए दुनियाभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. इस तानाशाह के टॉर्चर रूम में रूह कंपा देने वाली यातनाएं मिलती है, जिसका खुलासा खुद वहां की पूर्व सुरक्षा अधिकारी ने किया है. अधिकारिक रिपोर्टो के मुताबिक सत्ता संभालने के बाद से किम ने अपने सगे संबंधियों के अलावा कई उच्च अधिकारियों को मौत के घाट उतारा है, जो भी उसकी कुर्सी के लिए ख़तरा दिखे हैं. इसने साल 2013 में अपने ही फूफा को 120 भूखे शिकारी कुत्तों के सामने डलवा दिया था. उसने अपनी बुआ और सौतेले भाई को जहर देकर मरवा दिया था.
रॉबर्ट मुगाबे (ज़िम्बाब्वे)
लगभग चार दशक तक ज़िम्बाब्वे पर एकतरफा राज करनेवाले रॉबर्ट मुगाबे पर सत्ता पर अपनी कुर्सी बचाने के लिए सैंकडो हत्याओं का आरोप है. हाल ही में 93 वर्षीय मुगाबे को सत्ताधारी ज़ानू-पीएफ पार्टी ने बतौर नेता बर्ख़ास्त कर दिया. 1980 के दशक में उन्होंने उत्तरी कोरिया में प्रशिक्षित सेना की एक ब्रिगेड को अपने विरोधी के इलाके में भेज दिया था. इस हिंसा में हज़ारों नागरिकों की मौत हो गयी थी. आख़िर वक्त में ज़िम्बाब्वे फ़ौज मुगाबे के ख़िलाफ़ हो गई जिसके सहारे उन्होंने वर्षों तक विपक्ष और विरोधियों पर नकेल कस रखी थी. मुगाबे ने अपने 37 सालों के लंबे शासनकाल के दौरान ज़िम्बाब्वे की अर्धव्यव्स्था को जमीन पर ला दिया.
इस्लाम करीमोव (उज़्बेकिस्तान)
इस्लाम करीमोव दुनियाभर के सबसे क्रूर तानाशाहों में से एक था. वर्ष 1991 में उज़बेकिस्तान को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करने के बाद इस्लाम करीमोव चुनाव लड़ वहां का पहला राष्ट्रपति बना. हालाँकि विपक्ष और अंतर्राष्ट्रीय समूहों द्वारा उनपर धाँधली के आरोप लगाए गए. 27 साल तक शासन करनेवाले इस्लाम करीमोव अपने विरोधियों को बड़ी ही निर्ममता से मौत देता था. कहा जाता है की करीमोव ने एकबार विरोध करने के लिए दो लोगों को पानी में उबाल दिया था. इसी तानाशाह ने 2005 में 400-500 लोगों को सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए मरवा दिया था.
मुअम्मर अल-गद्दाफी (लीबिया)
42 साल तक लीबिया को रौंदने वाले तानाशाह मुअम्मर अल-गद्दाफी की भले ही कई वर्ष पहले मौत हो चुकी है. लेकिन आज भी उसकी अय्याशियों के किस्से लोगो के जुबा पर है. गद्दाफी किसी अरब देश में सबसे अधिक समय तक राज करने वाले तानाशाह के रूप में जाना जाता है. उसे 'कर्नल गद्दाफी' के नाम से भी जाना जाता है. गद्दाफी अपने को क्रांति का प्रथप्रदर्शक और राजाओं का राजा घोषित कर रखा था. गद्दाफी ने खनिज संपतियों से मालामाल लीबिया को अपनी जागीर सा बना रखा था. लीबिया के सभी मुख्य राजनीतिक, आर्थिक और रक्षा संबंधी संस्थानों पर गद्दाफी के बेटों का ही अधिकार हुआ करता था. विलासिता भरी जीवन शैली का लोभी गद्दाफी जिस्म का भी भूखा था. उसके हरम से अभी भी दिल दहला देनेवाली सच्चाईया बाहर निकल रही है. कहा जाता है की गद्दाफी को स्कूल जाने का बड़ा शौक था और वह हर बार स्कूल से एक लड़की को अपनी हवस मिटने के लिए चुनता था.