West Bengal: सीएम ममता बनर्जी की हरकत पर आग बबूला हुए बिहार बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल, कहा- मानसिक संतुलन खो चुकी हैं
डॉ जायसवाल ने कहा कि ओडिशा और पश्चिम बंगाल दोनों ही यास तूफान से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं और दोनों ही जगह बीजेपी विरोधी सरकारें हैं. प्रधानमंत्री अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए दोनों प्रदेशों का हवाई दौरा कर, वहां की जरूरतों पर वहां के मुख्यमंत्री सहित सभी उच्च अधिकारियों के साथ बैठक किया.
पटना: पश्चिम बंगाल (West Bengal) में चक्रवात यास (Cyclone Yaas) से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की ओर से बुलाई गई बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के देर से पहुंचने को लेकर बिहार बीजेपी (BJP) के नेता भी भड़के हुए हैं. बिहार (Bihar) बीजेपी अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल (Sanjay Jaiswal) ने शनिवार को कहा कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi), ममता बनर्जी जैसे नेता मानसिक संतुलन खोकर बीजेपी विरोध के चक्कर में अब राष्ट्र विरोधी हरकतें करने लगे हैं. West Bengal: ममता ने चक्रवाती तूफान से हुए नुकसान पर प्रधानमंत्री मोदी को सौंपी रिपोर्ट, 20 हजार करोड़ रुपये का राहत पैकेज मांगा
डॉ जायसवाल ने कहा कि ओडिशा और पश्चिम बंगाल दोनों ही यास तूफान से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं और दोनों ही जगह बीजेपी विरोधी सरकारें हैं. प्रधानमंत्री अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए दोनों प्रदेशों का हवाई दौरा कर, वहां की जरूरतों पर वहां के मुख्यमंत्री सहित सभी उच्च अधिकारियों के साथ बैठक किया.
ओडिशा के मुख्यमंत्री ने जहां प्रधानमंत्री को हर तरह से सहयोग दिया वहीं अपनी आदत अनुसार ममता बनर्जी ने एक बार फिर संवैधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक मर्यादा को तार-तार कर दिया.
जायसवाल ने कहा कि पहली बार ऐसा हुआ कि देश के प्रधानमंत्री किसी राज्य का दौरा कर रहे हों और वहां की मुख्यमंत्री आधा घंटा इंतजार कराने के बाद एक कागज थमा कर यह कहते हुए चली जाए कि उसे और भी काम है. ममता बनर्जी को देश के सम्मान की भी फिक्र नहीं है.
बीजेपी नेता ने कहा, "अहंकार में आकंठ डूबी ममता इस बात के लिए कृतसंकल्पित है कि मेरी आज्ञा का पालन करने वाला ही मेरे प्रदेश में रह सकता है. वास्तव में राहुल गांधी और ममता बनर्जी जैसे नेता मानसिक संतुलन खोकर बीजेपी विरोध के चक्कर में अब राष्ट्र विरोधी हरकतें करने लगे हैं."
डॉ जायसवाल ने कहा कि अगर उन्हें (ममता बनर्जी ) को बहुत आवश्यक काम भी था तो भी उन्हें प्रधानमंत्री को सूचित करना चाहिए था, यही लोकतंत्र की परिपाटी होती है.