एनपीआर से आम आदमी को ऐसे मिलेगा फायदा, देश के लिए भी है बेहद जरुरी

मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) पर विरोध के बीच मंगलवार को एनपीआर को मंजूरी दी. हालांकि कई राजनीतिक दल नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) का भी विरोध कर रहे है.

एनपीआर (File Photo)

नई दिल्ली: मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) पर विरोध के बीच मंगलवार को एनपीआर को मंजूरी दी. हालांकि कई राजनीतिक दल नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) का भी विरोध कर रहे है. लेकिन सरकार ने इसे आम जनता लिए आवश्यक बताते हुए सभी आरोपों को खारिज कर दिया.

एनपीआर देश के नागरिकों का एक रजिस्टर है. एनपीआर के संबंध में लोगों को अपनी पहचान बताने के लिए किसी प्रकार के दस्तावेज दिखाने की जरूरत नहीं होगी. अप्रैल 2020 से शुरू होने वाली एनपीआर की प्रक्रिया में लोगों के किसी भी प्रमाण, दस्तावेज और बायोमेट्रिक की कोई आवश्यकता नहीं है. एनपीआर स्व-घोषणा के आधार पर होगा और केवल व्यक्ति की गिनती पर किया जाएगा. 2021 की जनगणना के पहले इसे पूरा कर लिया जाएगा. एनपीआर का उपयोग NRC के लिए नहीं किया जाएगा, कुछ लोग अल्पसंख्यकों को डरा रहे है: अमित शाह

सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा कि भारत में मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, पैन कार्ड जैसे विभिन्न डाटाबेस हैं लेकिन इन सबकी सीमित पहुंच है. ऐसा कोई मानक डाटाबेस नहीं है जिसमें पूरी आबादी शामिल हो. एनपीआर मानक डाटाबेस उपलब्ध कराएगा तथा प्रत्येक व्यक्ति को अनन्य पहचान संख्या का आवंटन सुगम कराएगा. यह संख्या व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक स्थायी पहचान प्रदान करने जैसी ही होगी.

एनपीआर का महत्व इस तथ्य में निहित है कि देश में समग्र रूप से विश्वसनीय पहचान प्रणाली की आवश्यकता बढ़ती जा रही है. गैरकानूनी प्रवास पर लगाम कसने तथा आंतरिक सुरक्षा के मसले से निपटने के लिए भी देश के हर क्षेत्र और हर कोने के लोगों तक पहुंच बनाने की ज़रूरत जैसे विभिन्न कारकों की वजह से यह सब और भी महत्वपूर्ण हो गया है.

अनन्य पहचान संख्या से आम आदमी को कई तरह से फायदा होगा. यह संख्या उपलब्ध होने पर बैंक खाता खोलने जैसी विविध सरकारी या निजी सेवाएं हासिल करने के लिए व्यक्ति को पहचान के प्रमाण के रूप में एक से अधिक दस्तावेज़ प्रस्तुत करने की ज़रूरत नहीं होगी. यह व्यक्ति के आसान सत्यापन में भी मदद करेगी. बेहद गरीब लोगों के लिए सरकार अनेक कार्यक्रम और योजनाएं चला रही है लेकिन अनेक बार वे लक्षित आबादी तक नहीं पहुंच पाते. इस प्रकार यह पहचान डाटाबेस बनने से सरकारी और गैर सरकारी एजेंसियों की विविध लाभार्थी केंद्रित स्कीमों का लक्ष्य बढ़ाने में मदद मिलेगी.

एनपीआर देश की आंतरिक सुरक्षा बढ़ाने की ज़रूरत भी पूरा करेगा. सबको बहुउद्देश्यीय पहचान पत्र उपलब्ध होने से आतंकवादियों पर भी नज़र रखने में मदद मिलेगी जो अकसर आम आदमियों में घुलमिल जाते हैं. इसके अतिरिक्त, इससे कर संग्रह बढ़ाने तथा शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में कल्याण योजनाओं के बेहतर लक्ष्य निर्धारण के अलावा गैरकानूनी प्रवासियों की पहचान करने में भी मदद मिलेगी.

भारत अनुमानित 1 अरब 20 करोड़ की आबादी को अनन्य बायोमीट्रिक कार्ड उपलब्ध कराने के वायदे के साथ सबसे बड़ा डाटाबेस बनाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है. इस तरह अनन्य पहचान उपलब्ध कराने का रास्ता निर्धारित कर दिया गया है. यह अभ्यास इतना विशाल है कि इस परियोजना को सफल बनाने के लिए लोगों के उत्साहपूर्ण समर्थन एवं सहयोग की आवश्यकता है जो सबके लिए फायदेमंद होगी.

Share Now

\