7th Pay Commission: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में 1 जनवरी 2017 से सातवें वेतन आयोग के लागू होने से लाखों सरकारी कर्मचारियों को नए वर्ष का तोहफा मिला था. हालांकि सूबे की सरकार ने इससे कई महीनों पहले ही 7वीं सीपीसी के लागू करने की घोषणा कर दी थी. तब से ही यूपी के विकास प्राधिकरणों में भी सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग जोरशोर से हो रही थी. जिसको लेकर अब राज्य सरकार ने एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य सरकार ने विकास प्राधिकरणों में 7वां वेतनमान लागू करने के प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है. हालांकि, इसके तहत केवल पेंशन व्यवस्था को संशोधित किया जाने वाला है. जिसके तहत पेंशन में महंगाई भत्ता (डीए) मिलाकर दिया जाएगा. साथ ही कर्मचारियों की उम्र 80 वर्ष होने पर पेंशन 20 फीसदी बढ़ा दिया जाएगा. इसके अलावा ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपये हो जाएगी.
प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस फैसले से पड़ने वाला वित्तीय भार संबंधित विकास प्राधिकरण ही उठाएगा और राज्य सरकार कोई वित्तीय मदद नहीं करेगी. दरअसल सातवां वेतनमान लागू होने से विकास प्राधिकरणों पर प्रतिवर्ष 22 करोड़ रुपये का भार पड़ने का अनुमान जताया गया है.
गौर हो कि केंद्र सरकार ने जून 2016 में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का ऐलान किया था. जिसका फायदा करीब एक करोड़ कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को 1 जनवरी 2016 से मिल रहा है. इसके कुछ ही महीनों बाद उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने 13 दिसंबर 2016 को 7वीं सीपीसी को मंजूरी दे दी. जिसके लागू होने से लाखों सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में 15 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई.