अमेरिका में भारतीय रिसर्चर हिरासत में
अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे एक भारतीय रिसर्चर को अमेरिकी इमीग्रेशन अधिकारियों ने हिरासत में ले लिया है.

अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे एक भारतीय रिसर्चर को अमेरिकी इमीग्रेशन अधिकारियों ने हिरासत में ले लिया है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अमेरिकी सरकार ने बदर खान सूरी पर हमास का समर्थन करने का आरोप लगाया है.बदर खान सूरी जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में पोस्ट डॉक्टरल स्कॉलर हैं. अमेरिकी मीडिया संगठन 'पॉलिटिको' के मुताबिक सूरी को सोमवार 17 मार्च की रात नकाब पहने हुए कुछ लोगों ने वर्जीनिया स्थित उनके घर के बाहर से गिरफ्तार कर लिया. उन्हें यह भी बताया गया कि उनका वीजा रद्द कर दिया गया है.
बाद में अमेरिकी सरकार के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग में असिस्टेंट सेक्रेटरी त्रिशिया मैकलॉलिन ने एक्स पर बताया कि सूरी पर "सोशल मीडिया पर हमासका प्रोपेगेंडा फैलाने और एंटी-सेमिटिज्म को बढ़ावा देने" के आरोप लगाए गए हैं.
क्यों की जा रही है ये कार्रवाई
समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक अमेरिकी कस्टम्स एंड इमीग्रेशन एनफोर्समेंट विभाग की डीटेनी लोकेटर वेबसाइट पर जानकारी दी गई है कि सूरी लुजियाना में अलेग्जैंड्रिया स्टेजिंग फैसिलिटी में इमिग्रेशन अधिकारियों की हिरासत में हैं.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक उन्हें डिपोर्ट करने की तैयारी की जा रही है लेकिन इन कोशिशों को रोकने के लिए उनकी तरफ से एक अदालत में एक अर्जेंट मोशन दायर कर दिया गया है.
सूरी, यूनिवर्सिटी के अलवलीद बिन तलाल सेंटर फॉर मुस्लिम-क्रिस्चियन अंडरस्टैंडिंग में पोस्ट डॉक्टोरल फेलो हैं. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक उन्होंने दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया के नेल्सन मंडेला सेंटर फॉर पीस एंड कॉन्फ्लिक्ट रेजोल्यूशन से 2020 में पीएचडी की थी.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सूरी के वकील हसन अहमद ने कहा है कि उनके मुवक्किल को इसलिए सजा दी जा रही है क्योंकि उनकी पत्नी फलीस्तीनी मूल की हैं. हालांकि वो एक अमेरिकी नागरिक भी हैं. अहमद के मुताबिक अमेरिकी सरकार को शक है कि सूरी और उनकी पत्नी इस्राएल के प्रति अमेरिकी विदेश नीति का विरोध करते हैं.
इस तरह का पहला मामला नहीं
कुछ ही दिनों पहले कोलंबिया यूनिवर्सिटी की भारतीय छात्रा रंजनी श्रीनिवासन का वीजा भी रद्द कर दिया गया था. श्रीनिवासन ने 11 मार्च को खुद को "सेल्फ-डिपोर्ट" लिया था. पिछले एक हफ्ते में ऐसे कई छात्रों और एक्टिविस्टों के खिलाफ कार्रवाई की गई है जिन्होंने कोलंबिया और अन्य विश्वविद्यालयों में फलस्तीन के समर्थन में आयोजित किए गए प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था.
सूरी के मामले में जार्जटाउन यूनिवर्सिटी ने कहा है कि उसे उनके किसी भी अवैध गतिविधि में शामिल होने की जानकारी नहीं है और यूनिवर्सिटी "उसके समुदाय के सदस्यों के स्वतंत्र और खुले रूप से सवाल उठाने के अधिकारों का समर्थन" करती है.