Indian Railways ने बनाया नया रिकॉर्ड, 9 महीने के भीतर तैयार किए 300 रेल इंजन

भारतीय रेलवे ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. सरकारी स्वामित्व वाले सीएलडब्ल्यू (चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स) ने 9 महीने से कम समय में तीन सौ लोकोमोटिव (रेल-इंजन) तैयार किया है.

इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव को हरी झंडी दिखाते हुए पीएम मोदी (Photo Credits: IANS/File)

कोलकाता: भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. सरकारी स्वामित्व वाले सीएलडब्ल्यू (चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स) ने 9 महीने से कम समय में तीन सौ लोकोमोटिव (रेल-इंजन) तैयार किया है. हाल ही में रेलवे ने विश्व में पहली बार डीजल लोकोमोटिव (Locomotive) को विद्युत चालित इंजन में बदला था.

रेल मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक सीएलडब्ल्यू (Chittaranjan Locomotive Works) ने चालू वित्त वर्ष के नौ महीनों (216 कार्य दिवसों) से कम समय में 300वां लोकोमोटिव का उत्पादन किया है. इसके साथ ही 300वें लोको के उत्पादन के लिए कार्य दिवस 2017-18 के 292 दिनों से घटकर 2018-19 में 249 दिन तक और वर्तमान वित्त वर्ष 2019-20 में घटकर 216 दिन तक आ गया है. इस प्रकार 2017-18 से अब तक 28% की कमी आ चुकी है. भारत की पहली इंजन लेस Train 18 का सफल परीक्षण, 180 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चली ट्रेन

महाप्रबंधक प्रवीण कुमार मिश्रा ने वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों की उपस्थिति के बीच शनिवार को (21 दिसंबर) को सीएलडब्ल्यू से 300 वें लोको, डब्ल्यूजी-9 एचसी (32692) को झंडी दिखाई. सीएलडब्ल्यू की सराहना करते हुए उन्होंने उम्मीद जताई कि उत्पादन में इस रूझान के साथ, सीएलडब्ल्यू इस वित्त वर्ष 2019-20 के लक्ष्य को पार करने में भी सक्षम होगा और एक नया रिकॉर्ड बनाने के लिए पूरी तरह तैयार होगा.

सीएलडब्ल्यू ने 2018-19 में 402 लोकोमोटिव का उत्पादन किया और इस प्रकार यह लोकोमोटिव का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक बन गया. यहां पहली बार 26 जनवरी, 1950 को कामकाज शुरू किया गया था और सबसे पहले वाष्प रेलइंजन बनाया गया था.

उल्लेखनीय है कि भारतीय रेलवे ने पहली बार एक डीजल लोकोमोटिव को विद्युत चालित इंजन में बदला है और यह उसके ब्रॉडगेज नेटवर्क को पूरी तरह विद्युतीकृत करने के प्रयासों का हिस्सा है. इससे लोकोमोटिव की क्षमता 2600 एचपी से बढ़कर 5000 एचपी हो गयी है.

इस परियोजना पर काम 22 दिसंबर, 2017 को शुरू हुआ था और नया लोकोमोटिव 28 फरवरी, 2018 को तैयार करके भेजा गया. रेलवे ने इसी महीने बयान में कहा था कि अवधारणा से लेकर डीजल लोकोमोटिव को विद्युत इंजन में बदलने तक का काम महज 69 दिन में पूरा किया गया.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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