नई दिल्ली, 29 दिसंबर: उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की कथित तौर पर एक भारतीय कंपनी द्वारा निर्मित खांसी की दवा पीने से हुई मौत के मामले में भारतीय दूतावास ने उज्बेकिस्तान प्रशासन से सम्पर्क कर उनकी जांच का ब्यौरा मांगा है. विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी. Indian Cough Syrup Under Scanner Again: गाम्बिया के बाद अब उज्बेकिस्तान का गंभीर आरोप, कहा- भारतीय कंपनी की दवा पीने से 18 बच्चों की हुई मौत
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा कि हमने इस बारे में रिपोर्ट देखी है जिसमें 18 बच्चों की दुर्भाग्यपूर्ण मौत की बात कही गई है. यह घटना दो महीने की अवधि में घटित हुई.
उन्होंने कहा कि उज्बेकिस्तान प्रशासन इस मामले की जांच कर रहा है जिसमें कफ सीरप पीने से कथित संबंध होने का विषय भी शामिल हैं.
प्रवक्ता ने कहा कि उज्बेकिस्तान के प्रशासन ने इस मामले में औपचारिक रूप से भारत से सम्पर्क नहीं किया है हालांकि दोनों देशों के औषधी विनियामक एक दूसरे के सम्पर्क में है.
बागची ने कहा, ‘‘ भारतीय दूतावास ने उज्बेक पक्ष से सम्पर्क किया और उनकी जांच का ब्यौरा मांगा है.’’
उन्होंने कहा कि हमारी समझ है कि वहां कंपनी के एक स्थानीय प्रतिनिधि सहित कुछ लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गयी है और इस संदर्भ में हम उन लोगों को जरूरी राजनयिक सहायता प्रदान कर रहे हैं.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ हम सम्पर्क में है और अपने यहां भी आंतरिक कदम उठाये गए हैं. दोनों देशों के औषधी विनियामक एक दूसरे से सम्पर्क में हैं.’’ ज्ञात हो कि दवा कंपनी मैरियन बायोटेक की खांसी की दवा पीने से उज्बेकिस्तान में कथित रूप से 18 बच्चों की मौत होने से जुड़े मामले की जांच केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने शुरू कर दी है और कंपनी के कानूनी मामलों के प्रतिनिधि ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘डॉक-1 मैक्स’ दवा का निर्माण ‘‘फिलहाल’’ रोक दिया गया है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि दवा कंपनी के निरीक्षण के आधार पर आगे कदम उठाया जाएगा. उन्होंने बताया कि सीडीएससीओ 27 दिसंबर से मामले के संबंध में उज्बेकिस्तान के राष्ट्रीय औषधि नियामक के नियमित संपर्क में है. खांसी की यह दवा कथित तौर पर पीने के बाद उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत हो गई थी. उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि बच्चों की मौत ‘डॉक-1 मैक्स’ दवा पीने से हुई.
वहीं, नयी दिल्ली में, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) इस मामले को लेकर उज्बेकिस्तान के राष्ट्रीय दवा नियामक के साथ लगातार संपर्क में है.
बयान में कहा गया, ‘‘इस मामले की सूचना मिलते ही उत्तर प्रदेश औषधि नियंत्रण के अधिकारियों व सीडीएससीओ की टीम ने तत्काल दवा निर्माता कंपनी मैरियन बायोटेक के नोएडा विनिर्माण केंद्र का संयुक्त निरीक्षण किया. इस मामले में आगे की कार्रवाई निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर की जाएगी.’’
मंत्रालय ने कहा कि मैरियन बायोटेक, उत्तर प्रदेश औषधि नियंत्रक से एक लाइसेंस प्राप्त निर्माता कंपनी है और इसे निर्यात के उद्देश्य से ‘‘डॉक1 मैक्स’’ सीरप और टैबलेट के निर्माण की अनुमति है.
साथ ही मंत्रालय ने कहा, ‘‘इस कफ सीरप के नमूने विनिर्माण परिसर से लिए गए हैं और परीक्षण के लिए चंडीगढ़ स्थित क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला (आरडीटीएल) भेजे गए हैं.’’
विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों और उत्तर प्रदेश के औषधि विभाग के एक दल ने बृहस्पतिवार को नोएडा स्थित दवा कंपनी के कार्यालय का निरीक्षण किया. उत्तर प्रदेश सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि मैरियन बायोटेक कंपनी भारत में खांसी की दवा ‘डॉक -1 मैक्स’ नहीं बेचती और इसका निर्यात केवल उज्बेकिस्तान को किया गया है.
उज्बेकिस्तान के इन आरोपों से पहले, गाम्बिया में इस साल की शुरुआत में 70 बच्चों की मौत को हरियाणा स्थित मेडेन फार्मास्यूटिकल्स द्वारा निर्मित खांसी सिरप से जोड़ा गया था. भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से कहा था कि उसने गाम्बिया में बच्चों की मौत के मामले को भारत में निर्मित खांसी के चार सीरप से अपरिपक्व रूप से जोड़ा.
डीसीजीआई ने कहा कि मीडिया के अनुसार गाम्बिया ने सूचित किया है कि कफ सीरप के सेवन और बच्चों की मौत के मामलों के बीच अभी तक कोई प्रत्यक्ष संबंध स्थापित नहीं किया गया है और जिन बच्चों की मौत हुई थी, उन्होंने इस सीरप का सेवन नहीं किया था.
सूत्रों ने कहा कि भारत के औषधि महानियंत्रक ने उज्बेक नियामक से घटना के संबंध में और जानकारी मांगी है. उज्बेकिस्तान के मंत्रालय के मुताबिक, प्रयोगशाला में जांच के दौरान सीरप की एक खेप में एथिलीन ग्लाइकोल रसायन पाया गया.
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