देशभक्तों की दीपावली! सरहद पर तैनात सेना के जवानों ने मनाई दिवाली, दीपों से जगमगा उठा LOC, देखें शानदार तस्वीरें

अखनूर (जम्मू-कश्मीर): सरहद पर तैनात हमारे वीर जवानों ने इस बार भी परिवार से दूर, लेकिन अपने दूसरे परिवार के बीच उत्साह और देशभक्ति से भरी दिवाली मनाई. जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास जवानों ने दीप जलाकर और लक्ष्मी पूजा कर इस पर्व को हर्षोल्लास से मनाया.

जवानों के बीच लक्ष्मी पूजन की रस्म अदायगी की गई और इसके बाद उन्होंने पटाखे फोड़कर दिवाली की खुशियों में चार चांद लगाए. एक अधिकारी ने बताया, "हम दिवाली अपने घरों से मीलों दूर मनाते हैं, लेकिन सेना हमारे लिए एक दूसरा बड़ा परिवार है, जो हमें हर पल साथ खड़ा नजर आता है."

सुरक्षा और परंपरा का अनूठा संगम 

जहां एक ओर पूरा देश अपने घरों में परिवार के साथ दीयों की रोशनी में रमा था, वहीं एलओसी पर तैनात ये जवान न केवल अपनी ड्यूटी निभा रहे थे बल्कि परंपराओं का भी बखूबी निर्वहन कर रहे थे. दीयों की रोशनी से सीमा की चौकियों को सजाया गया, जिससे यह संदेश गया कि त्योहार के इस मौके पर भी हमारे जवान पूरी सजगता के साथ अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं.

रोशनी के बीच देश की सुरक्षा का जज्बा

पटाखों की गूंज और दीयों की रोशनी के बीच जवानों ने देशवासियों को सुरक्षित रखने का संकल्प दोहराया. यह दृश्य न केवल उत्सव का प्रतीक था बल्कि यह दर्शाता है कि हमारे सैनिक हर परिस्थिति में अपनी ड्यूटी को प्राथमिकता देते हैं. जवानों का कहना है, "घर से दूर होने का दर्द जरूर है, लेकिन देश की सुरक्षा से बड़ा कोई त्योहार नहीं."

वंदना और विजय का पर्व

दिवाली का यह पर्व न केवल अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है बल्कि देश के उन वीर जवानों के समर्पण को भी नमन करता है, जो हर त्योहार पर अपने परिवार और प्रियजनों से दूर रहकर भी भारत माता की रक्षा में जुटे रहते हैं. अखनूर सेक्टर में मनाई गई दिवाली ने यह साबित कर दिया कि पर्वों की खुशी मनाने के लिए जगह या परिस्थिति की नहीं, बल्कि दिलों में जज्बे की जरूरत होती है. यह दिवाली उन सभी जवानों को समर्पित है जो दिन-रात हमारी सुरक्षा में जुटे रहते हैं, ताकि हम अपने घरों में सुरक्षित रहकर खुशियों के दीप जला सकें.