नई दिल्ली: पाकिस्तान और चीन के साथ सीमाओं पर बढ़ते खतरों से पार पाने के लिए भारतीय सेना ऐसे ड्रोन खरीदने की योजना बना रही है, जो सामान की ढुलाई करने और मिसाइल की तरह अटैक करने में सक्षम होंगे. सेना के सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी. इसके साथ ही इन ड्रोन का इस्तेमाल ऊंचाई वाले सीमा क्षेत्र में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की तरह निगरानी करने के लिए किया जाएगा. आर्मी डिजाइन ब्यूरो ने मंगलवार को भारतीय सेना के लिए जरूरी हथियारों और उपकरणों की खरीद के लिए दिल्ली कैंट के मानेकशॉ केंद्र में एक प्रदर्शनी का आयोजन किया। इस दौरान 40 विभिन्न कंपनियों द्वारा उनके रक्षा उपकरणों को दिखाया गया, जिसमें अधिकतर ड्रोन शामिल थे. इस ब्यूरो को 2016 में स्थापित किया गया था.
यह ब्यूरो रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन, शिक्षा, रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (डीपीएसयू),आयुध निर्माणी बोर्डो और निजी उद्योग में उच्च गुणवत्ता वाले रक्षा उत्पादों को वितरित करने के लिए काम करता है. कार्यक्रम स्थल पर भारतीय सेना के सभी कमांडर मौजूद थे, जिन्होंने धीमी गति से चलने वाले मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) को खरीदने का फैसला किया. इसे मिसाइल म्यूटेशन ड्रोन के तौर पर जाना जाता है. इसका इस्तेमाल सीमा पार से किसी भी खतरे का मुकाबला करने के लिए किया जाएगा.
प्रदर्शनी में शामिल कुछ यूएवी ऐसे थे जो मानव लक्ष्यों को भी निशाना बना सकते हैं. सेना के एक सूत्र ने बताया, "यह सबसे पसंदीदा रक्षा उत्पाद है. भारतीय सेना ने आवश्यकतानुसार इसे खरीदने का फैसला किया है. लॉयर म्यूनिशन ड्रोन एक प्रकार का यूएवी है, जो एक्सप्लोजिव वारहेड के साथ लाइन-ऑफ-विजन ग्राउंड को निशाना बनाने में सक्षम है। ये सेना को निगरानी के दौरान स्ट्राइक करने की क्षमता प्रदान करते हैं. यहां ऐसे ड्रोन भी थे जिनका उपयोग 10 हजार फीट से ऊपर 40 कि. ग्रा. तक भार ले जाने के लिए किया जा सकता है.
भारतीय सेना ने कहा कि ये ड्रोन ऊंचाई वाले क्षेत्र पर काफी कारगर सिद्ध होंगे। क्योंकि सर्दियों में जब बर्फ पड़ने के कारण सड़कें बंद हो जाती हैं तो उस समय इनका उपयोग किया जा सकेगा. भारतीय सेना के एक अधिकारी ने कहा, "यह चीन और पाकिस्तान दोनों सीमाओं पर जोखिम भरे इलाकों में बहुत प्रभावी होगा. पिछले महीने भारतीय जांच एजेंसियों ने पंजाब में ड्रोन बरामद किए थे, जिन्हें जाहिर तौर पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़े आतंकवादी समूहों द्वारा भेजा गया था.