नई दिल्ली: भारत (India) अपनी 'पड़ोसी पहले' नीति के तहत कोविड (COVID-19) के बाद तेजी से आर्थिक सुधार के लिए श्रीलंका (Sri Lanka) के साथ काम कर रहा है और इसे जारी रखने के लिए तैयार है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने श्रीलंका में आर्थिक संकट (Economic crisis) के बारे में बात करते हुए कहा, "हम पड़ोसी और करीबी दोस्त हैं. श्रीलंका में एक विकसित आर्थिक स्थिति के साथ-साथ अन्य विकास भी हुए हैं. कम करने में मदद करने के लिए वहां की आर्थिक स्थिति में हमने पिछले दो से तीन महीनों में 2.5 अरब डॉलर की सहायता दी है, जिसमें ईंधन और भोजन के लिए ऋण सुविधाएं शामिल हैं, जिनकी सबसे अधिक जरूरत है." Sri Lanka: आर्थिक संकट के बीच होगा नई कैबिनेट का गठन, राष्ट्रपति ने सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से लगाई ये गुहार
मार्च के मध्य से अब तक 2,70,000 मीट्रिक टन से अधिक खाद्य और तेल श्रीलंका को पहुंचाया जा चुका है. इसके अलावा, हाल ही में विस्तारित एक अरब डॉलर की क्रेडिट लाइन के तहत 40,000 टन चावल की आपूर्ति की गई है.
"भारत और श्रीलंका के बीच संबंध सहयोग हमारे सभ्यतागत मूल्यों और आकांक्षाओं में निहित हैं. हाल के महीनों में भारत-श्रीलंका संबंध मजबूत हुए हैं."
बागची ने कहा, "हम अपनी 'पड़ोस पहले' नीति के अनुरूप तेजी से पोस्ट-कोविड आर्थिक सुधार के लिए श्रीलंका के साथ काम करना जारी रखने के लिए तैयार हैं. हमारी तत्परता, जो भी सहायता हम प्रदान कर सकते हैं, वह अब तक हमारे कार्यो से प्रदर्शित हुई है."
श्रीलंका की अर्थव्यवस्था तेजी से घटते विदेशी मुद्रा भंडार और बढ़ती मुद्रास्फीति की दोहरी चुनौती का सामना कर रही है, जिससे यह दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गई है. श्रीलंका लगातार ऋण स्तरों के साथ सॉल्वेंसी के मुद्दों का भी सामना कर रहा है.
विदेशी मुद्रा की अभूतपूर्व कमी के कारण श्रीलंका के लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा नहीं किया जा सकता. पेट्रोल पंपों के बाहर बड़ी कतारें हैं, क्योंकि पेट्रोल आयात करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार नहीं है, फार्मेसियों में दवाएं खत्म हो गई हैं, जबकि अखबारों के घर अखबारी कागज से बाहर हो गए हैं.
जनवरी 2022 से श्रीलंका में महंगाई दर 18 फीसदी को पार कर गई है. गुस्साए निवासियों ने विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं और श्रीलंका सरकार ने कर्फ्यू लगाकर जवाब दिया है.