विदेशी नहीं घरेलू एयरलाइंस का विकास चाहता है भारत

भारत ने विदेशी एयरलाइंस की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए अपनी घरेलू कंपनियों को लंबी उड़ानें चलाने और नए केंद्र स्थापित करने को प्रोत्साहित करने की बात कही है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

भारत ने विदेशी एयरलाइंस की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए अपनी घरेलू कंपनियों को लंबी उड़ानें चलाने और नए केंद्र स्थापित करने को प्रोत्साहित करने की बात कही है.भारत चाहता है कि उसकी घरेलू कंपनियां ज्यादा संख्या में उड़ानें चलाएं. मंगलवार को भारत के नागरिक विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने घरेलू कंपनियों से आग्रह किया कि वे नए उड़ान केंद्र स्थापित करें और विदेशी प्रतिद्वन्द्वियों से घरेलू विमान क्षेत्र का अधिपत्य वापस लें. सिंधिया के इस बयान से विदेशी कंपनियों को झटका लग सकता है, जो भारत के बढ़ते बाजार में ज्यादा हिस्सेदारी चाह रही हैं.

सिंधिया ने भारत में उत्पादन को बढ़ाने पर भी जोर दिया है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में उन्होंने कहा कि लीज पर लिए गए जेट विमानों को वापस खरीदने के मामले में कंपनियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए नए नियमों को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा. उन्होंने कहा, "भारत अब एक अहम मोड़ पर खड़ा है. आने वाले सालों में भारत में एयर ट्रैफिक का विस्फोट देखने को मिलेगा." सिंधिया ने कहा कि वह चाहते हैं कि घरेलू कंपनियां अंतरराष्ट्रीय विस्तार पर और ज्यादा ध्यान दें.

खुद लाभ उठाना चाहता है भारत

विमानन के क्षेत्र में भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से है. वहां घरेलू हवाई अड्डों से यात्रा करने वालों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है कि समुचित संख्या में विमान भी उपलब्ध नहीं हैं. लेकिन अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के मामले में अब भी अंतरराष्ट्रीय विमानन कंपनियों का ही अधिपत्य है, जिनके पास ज्यादा सक्षम विमानन केंद्र हैं. अब भारत चाहता है कि अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की बढ़ती संख्या का आर्थिक लाभ खुद उठाए और उसके लिए हवाई अड्डों व घरेलू एयरलाइंस को बढ़ावा दिया जा रहा है.

पिछले महीने ही एयर इंडिया ने 470 जेट विमानों का ऑर्डर दिया है जिसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक आक्रामक कदम के रूप में देखा जा रहा है. यह इतिहास का सबसे बड़ा ऑर्डर है. घरेलू स्तर पर इंडिगो 500 से ज्यादा विमान खरीदने की तैयारी में है और इतनी ही संख्या में विमान पहले ही ऑर्डर किए जा चुके हैं, जिनकी डिलीवरी का इंतजार है.

सिंधिया ने कहा कि भारत खाड़ी देशों के एयर ट्रैफिक कोटा को बढ़ाने पर कोई विचार नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं घरेलू कंपनियां ही बीच में रुकते हुए लंबी दूरी की सेवाएं दें. सिंधिया ने कहा, "एयर इंडिया का चौड़े विमानों का ऑर्डर और इंडिगो द्वारा कुछ शहरों के लिए बड़े विमानों का इस्तेमाल दिखाता है कि बदलाव की शुरुआत हो चुकी है.”

कितना विस्तार उचित है?

भारत अपनी 1.4 अरब की आबादी की यात्राओं की जरूरतें पूरी करने के लिए नए हवाई अड्डे भी बना रहा है. साथ ही बड़े हवाई अड्डों की क्षमता बढ़ाने पर भी काम किया जा रहा है. देश में छह बड़े मेट्रो हवाई अड्डे हैं जिन पर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या आने वाले पांच साल में दोगुनी हो सकती है. सिंधिया ने कहा कि आज भारत के पास 700 विमान हैं जिनकी संख्या अगले पांच साल में 2,000 से ज्यादा होना तय है.

नागरिक विमानन मंत्रालय कुछ एयरलाइंस और दिल्ली एयरपोर्ट के साथ मिलकर एक परियोजना पर काम कर रहा है जिसके तहत एक केंद्र स्थापित किया जाएगा ताकि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से आकर घरेलू उड़ान लेने वाले यात्रियों का आना-जाना सुगम हो सके. सिंधिया ने बताया, "आज हमारे केंद्र या तो देश की पूर्वी सीमा पर हैं या पश्चिमी सीमा पर. जितना बड़ा हमारा बाजार है, उसके मुताबिक हमें केंद्र देश के भीतर बनाने चाहिए.”

इस महत्वाकांक्षा के रास्ते में एक बड़ी चुनौती भारत में एयरलाइंस के विफल हो जाने का लंबा इतिहास भी है. किंगफिशर और जेट एयरवेज इस मामले में दो ताजा उदाहरण हैं. सिंधिया ने कहा कि वह विमानों की अधिकता हो जाने से चिंतित नहीं हैं क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था, शहरीकरण और हवाई यात्रा का बाजार तेजी से बढ़ रहा है.

उन्होंने कहा, "पहले हवाई अड्डे और विमान सिर्फ उन शहरों को जाते थे जहां की अर्थव्यवस्था बड़ी होती थी और वहां निवेश समझदारी भरा होता था. आज, एयरपोर्ट और एयरलाइंस ही अर्थव्यवस्था को बड़ा कर रहे हैं. पूरा प्रतिमान ही बदल गया है.”

वीके/एए (रॉयटर्स)

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