ट्रंप की टैरिफ बढ़ाने की धमकी पर भारत ने दिया ये जवाब, अमेरिका को दिखा दिया आईना
PM Modi and Donald Trump | X

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने कहा कि भारत रूस से भारी मात्रा में कच्चा तेल खरीद रहा है और फिर उस तेल का बड़ा हिस्सा अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंचे दामों पर बेचकर भारी मुनाफा कमा रहा है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत को इस बात की कोई परवाह नहीं है कि रूस की युद्ध मशीन यूक्रेन में कितने लोगों की जान ले रही है. ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर लिखा, "भारत को रूस के साथ व्यापार की परवाह है, लेकिन यूक्रेन में हो रही मानवीय त्रासदी की नहीं. इसी वजह से मैं भारत पर टैरिफ बढ़ा रहा हूं." ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की, जो पहले 1 अगस्त से लागू होना था, लेकिन अब इसे 7 अगस्त तक टाल दिया गया है.

रूस से तेल खरीदना भारत को पड़ेगा महंगा? ट्रंप ने दी टैरिफ बढ़ाने की धमकी.

भारत ने क्या कहा?

भारत ने ट्रंप के आरोपों और टैरिफ की धमकी का सधा हुआ और शांत जवाब दिया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट कहा कि, “भारत अपने राष्ट्रीय हित और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगा.” सरकारी सूत्रों ने यह भी बताया कि भारत बिना किसी उकसावे के जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा, बल्कि बातचीत के जरिए मुद्दे को सुलझाने की कोशिश करेगा. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में कहा था कि "बात 10-15% टैरिफ की नहीं है, बात है भारत के आत्मसम्मान और उपभोक्ताओं के हितों की."

MEA ने कहा कि आश्चर्य की बात ये है कि जो देश भारत की आलोचना कर रहे हैं, वही खुद भी रूस से व्यापार कर रहे हैं, जबकि उनके लिए यह कोई राष्ट्रीय अनिवार्यता नहीं है.

भारत का जवाब

अमेरिका का सच

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत को रूस से तेल आयात शुरू करने के लिए बाध्य होना पड़ा, क्योंकि यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं ने अपनी आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ दी थी. उस समय अमेरिका ने खुद भारत को ऐसे कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित किया था, ताकि वैश्विक ऊर्जा बाजार स्थिर रह सके.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत के ये आयात भारतीय उपभोक्ताओं को सस्ती और स्थिर ऊर्जा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी हैं. ये कोई विकल्प नहीं, बल्कि वैश्विक बाजार की मजबूरी है.

अमेरिका क्यों है नाराज?

अमेरिका को भारत के रूस से तेल खरीदने पर एतराज इसलिए है क्योंकि वह मानता है कि इस व्यापार से रूस को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए आर्थिक मदद मिल रही है. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा, "भारत रूस से सस्ते में तेल खरीद रहा है, जबकि उसके पास कई अन्य विकल्प हैं. इससे रूस को युद्ध जारी रखने की ताकत मिल रही है."

हालांकि, भारत ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि रूस से तेल की खरीद कोई राजनीतिक निर्णय नहीं बल्कि एक आर्थिक और रणनीतिक आवश्यकता है.

क्यों खरीद रहा है भारत रूस से तेल?

यूक्रेन युद्ध के बाद जब पश्चिमी देश रूस पर प्रतिबंध लगाने लगे, तो रूसी तेल की आपूर्ति पर वैश्विक असर पड़ा. कई पारंपरिक आपूर्तिकर्ता अब यूरोप को प्राथमिकता देने लगे. ऐसे में भारत ने ऊर्जा की अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए रूस से तेल खरीदना शुरू किया.

विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा, “भारत की ऊर्जा ज़रूरतें बड़ी हैं और हमें यह सुनिश्चित करना है कि हमारे नागरिकों को सस्ती और स्थिर ऊर्जा मिलती रहे. रूस से तेल खरीदना एक आर्थिक मजबूरी थी, न कि किसी का समर्थन.”