भारत: शेयर बाजार में हर चार नए निवेशकों में से एक महिला
भारतीय स्टेट बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक घरेलू शेयर बाजार में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है और बाजार में प्रत्येक 4 नए निवेशकों में से लगभग एक निवेशक महिला है.
भारतीय स्टेट बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक घरेलू शेयर बाजार में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है और बाजार में प्रत्येक 4 नए निवेशकों में से लगभग एक निवेशक महिला है.भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2021 से हर साल कम से कम तीन करोड़ नए डीमैट खाते खुल रहे हैं और लगभग हर चार में से एक अब महिला निवेशक है. यह वृद्धि न केवल वित्तीय समावेशन को बल देती है, बल्कि यह भारत में लैंगिक समानता की ओर बढ़ते कदमों का भी प्रतीक है.
शेयर बाजार में महिला निवेशक
एसबीआई के आर्थिक अनुसंधान विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024 में देश में कुल डीमैट खाते 15 करोड़ को पार कर गए, जबकि वित्त वर्ष 2014 में यह संख्या मात्र 2.2 करोड़ थी. एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सौम्य कांति घोष ने कहा, "इस साल नए डीमैट खातों की संख्या चार करोड़ का आंकड़ा पार कर सकती है."
उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों को छोड़कर, वित्त वर्ष 2022 की तुलना में वित्त वर्ष 2025 में महिलाओं की भागीदारी राष्ट्रीय औसत से अधिक बढ़ी है.
कौन है बेहतर निवेशक, पुरुष या महिलाएं?
वित्त वर्ष 2025 में कुल डीमैट खातों में महिलाओं की हिस्सेदारी के मामले में दिल्ली 29.8 प्रतिशत, महाराष्ट्र 27.7 प्रतिशत, तमिलनाडु 27.5 प्रतिशत के साथ शीर्ष पर है. वहीं, पूरे राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा औसत 23.9 प्रतिशत पर है.
बिहार 15.4 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश 18.2 प्रतिशत और ओडिशा 19.4 प्रतिशत के साथ इन राज्यों में पंजीकृत निवेशक आधार में महिलाओं की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से कम है.
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कुछ राज्यों की महिलाएं अब भी पीछे
महिला निवेशकों की भागीदारी के मामले में असम सबसे पीछे है. पिछले तीन वर्षों में राज्य में महिला निवेशकों की संख्या में 1.9 फीसदी की गिरावट आई है. कुछ राज्यों को छोड़कर, वित्त वर्ष 25 में महिलाओं की भागीदारी वित्त वर्ष 22 के मुकाबले राष्ट्रीय औसत से ज्यादा बढ़ी है.
हालांकि अलग-अलग राज्यों में स्थिति अलग है, लेकिन कुल मिलाकर पूरे देश में वित्तीय बाजारों में महिलाओं की भागीदारी में सुधार हो रहा है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि शेयरों और डिबेंचर में परिवारों की बचत वित्त वर्ष 2024 में जीडीपी के 1 प्रतिशत तक बढ़ गई है, जो वित्त वर्ष 2014 में 0.2 प्रतिशत थी और घरेलू वित्तीय बचत में हिस्सेदारी 1 प्रतिशत से बढ़कर 5 प्रतिशत हो गई है.
रिपोर्ट में वित्तीय बाजारों के भौगोलिक प्रभुत्व में बदलाव पर प्रकाश डाला गया है, और कहा गया है कि पश्चिमी क्षेत्र, जो पारंपरिक रूप से पूंजी बाजार गतिविधि का केंद्र रहा है, धीरे-धीरे बेंगलुरु, हैदराबाद और कानपुर जैसे शहरों के लिए स्थान खो रहा है.
रिपोर्ट इस बात को रेखांकित करती है कि अधिक महिलाएं अब धन जुटाने के साधन के रूप में शेयर बाजार को अपना रही हैं.