India-China Border Issue: सीमा विवाद सुलझाने के लिए नौवें दौर की वार्ता में शामिल होंगे भारत और चीन

दोनों देशों ने आगे के स्थानों से अपने सैनिकों को हटाने के लिए आठवें दौर की बातचीत के दौरान विचारों का रचनात्मक आदान-प्रदान किया था. दोनों देशों के बीच आठ कोर कमांडर स्तर की वार्ता छह नवंबर को हुई थी. दोनों पक्ष दोनों देशों के नेताओं द्वारा संपन्न महत्वपूर्ण सहमति को लागू करने, सेना के संयम बनाए रखने और गलतफहमी से बचने पर सहमत हुए थे.

प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली, 10 नवंबर: भारत (India) और चीन (China) के सैन्य प्रतिनिधियों की ओर से पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में सीमा विवाद सुलझाने के लिए इस सप्ताह नौवीं बार बातचीत किए जाने की संभावना है. दोनों देशों ने आगे के स्थानों (फॉरवर्ड एरिया) से अपने सैनिकों को हटाने के लिए आठवें दौर की बातचीत के दौरान विचारों का रचनात्मक आदान-प्रदान किया था. दोनों देशों के बीच आठ कोर कमांडर स्तर की वार्ता छह नवंबर को हुई थी. दोनों पक्ष दोनों देशों के नेताओं द्वारा संपन्न महत्वपूर्ण सहमति को लागू करने, सेना के संयम बनाए रखने और गलतफहमी से बचने पर सहमत हुए थे. इसके साथ दोनों पक्ष इस बार की वार्ता के आधार पर सैन्य और राजनयिक संपर्क रखकर अन्य समस्याओं का समाधान करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने पर भी सहमत हुए थे.

भारतीय रक्षा मंत्रालय ने पिछले रविवार को एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) (LAC) के पास असहमति पर विचारों का एक स्पष्ट, गहन और रचनात्मक आदान-प्रदान किया. मंत्रालय ने यह भी कहा था कि दोनों देश, दोनों देशों के नेताओं द्वारा महत्वपूर्ण सहमति को ईमानदारी से लागू करने के लिए सहमत हैं और अपने सीमावर्ती सैनिकों को संयम बरतने और गलतफहमी और गलतफहमी से बचने के लिए सुनिश्चित करने पर सहमत हैं.

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30 अगस्त को भारत ने रेचन ला, रेजांग ला, मुकर्पी और टेबलटॉप जैसे पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर महत्वपूर्ण पहाड़ी ऊंचाइयों पर अपनी पहुंच सुनिश्चित कर ली थी, जो तब तक मानव रहित जगह होती थी. भारत ने ब्लैकटॉप के पास भी कुछ तैनाती की है. चीन द्वारा भड़काऊ सैन्य कदम उठाने की कोशिश के बाद भारत की ओर से यह कदम उठाए गए हैं. भारत और चीन के बीच पिछले सात महीने से एलएसी पर गतिरोध कायम है. कई स्तरों के संवाद के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली है और गतिरोध जारी है.

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