चीन-पाक की अब खैर नहीं, भारत में बन रहा है ऐसा लड़ाकू विमान जो आकाश में छुपकर करेगा दुश्मनों का खात्मा

भारत अब अपनी आधुनिक सैन्य शक्ति की बदौलत वैश्विक ताकत के रूप में तेजी से उभर रहा है. वो दिन अब दूर नहीं, जब भारत अपने लड़ाकू विमान की मदद से दुश्मन देशों को तबाह कर देगा और किसी को पता भी नहीं चलेगा.

लड़ाकू विमान (Photo Credits: pxhere)

नई दिल्ली: भारत अब अपनी आधुनिक सैन्य शक्ति की बदौलत वैश्विक ताकत के रूप में तेजी से उभर रहा है. वो दिन अब दूर नहीं, जब भारत अपने लड़ाकू विमान की मदद से दुश्मन देशों को तबाह कर देगा और किसी को पता भी नहीं चलेगा. दरअसल भारत में एक ऐसे खास लड़ाकू विमान पर काम चल रहा है जो अपने दुश्मनों का असमान में छुपकर खत्मा करने में सक्षम होगा. यह लड़ाकू विमान इतना शक्तिशाली होगा कि दुश्मन देश इसकी मार से थर्राएंगे.

आजादी के बाद से भारत ने थल, जल और वायु सेनाओं को आधुनिक बनाया है. इसी कड़ी में आइआइटी कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग में स्टेल्थ तकनीकी युक्त विशेष लड़ाकू विमान का डिजाइन और प्रोटोटाइप बनाया जा रहा है. जो की अपने आखिरी चरण में है. इसी साल अक्टूबर महीने में इसका परीक्षण किया जा सकता है.

गायब हो जाएगा पूरा विमान-  

बता दें कि इस प्रोजेक्ट में पहले रूस भी साथ था लेकिन साल 2018 में पीछे हट गया. यह तकनीक दुनिया के चुनिंदा देशों के पास ही मौजूद है. करीब दो साल पहले डीआरडीओ ने स्टेल्थ मैटेरियल तैयार किया था. स्टेल्थ तकनीकी से बना विमान उड़ान भरने के बाद आकाश में लगभग अदृश्य हो जाता है. इस्तना ही नही इसे रडार से भी पकड़ना मुश्किल है.

मानव रहित इस विशेष विमान में एडवांस बैटल फील्ड रडार, आरएफ सेंसर, ग्राउंड रडार, सेंसर युक्त सिस्टम होगा, जो इसे दुश्मन की नजर से बचाएगा. यह विमान बेहद हल्का और आवाज रहित होगा. इस खूबी के कारण यह दुश्मन की सीमा में घुसकर आक्रमण कर सकता है, जिसका पता दुश्मन के रडार भी नहीं लगा पाएंगे.

तरंगो को सोख लेता है-

गौरतलब हो की स्टेल्थ मैटेरियल रडार से निकलने वाली हाई-फ्रिकयुंसी माइक्रोवेव-तरंगों को अपने अंदर खीच लेता है और बाहर नहीं निकलने देता है. जिसके चलते दुश्मन के रडार को पता ही नहीं चल पाएगा कि उसके इलाके में कोई लड़ाकू विमान घुसा है.

दरअसल, रडार एक ट्रांसमीटर द्वारा निकलने वाली माईक्रो-वेव्स के जरिए काम करती है. ये तरंगें लड़ाकू विमानों, युद्धपोत या फिर पनडुब्बी जैसे दूसरे टारगेट की सतह से टकराती हैं और वापस रडार में लगे डिटेक्टर से आकर टकरा जाती हैं. इसी के जरिए दुश्मन को रडार से किसी भी विमान या फिर जंगी जहाज का पता लगता हैं. लेकिन स्टेल्थ मैटेरियल रडार की तरंगों को अपने में सोख लेता है और तरंगे वापस रडार के डिटेक्टर तक नहीं पहुंच पाती है.

लादेन को मारने के लिए भेजा-

अमेरिका ने साल 2011 में अमेरिका ने ओसाना बिन लादेन को मारने के लिए अपने सील-कमांडोज़ को पाकिस्तान में स्टेल्थ-हेलीकॉप्टर से भेजा था. जिस वजह से पाकिस्तान को अमेरिका के मिशन की कानोंकान खबर नहीं लग सकी. भारत के पास लड़ाकू विमान तेजस ही एक ऐसा है जो सेमी-स्टेल्थ लड़ाकू विमान है. इसके विंग स्टेल्थ मैटेरियल से बने हैं.

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