IIT Bombay ने किया कमाल! ऑक्सीजन की कमी दूर करने के लिए खोजा सरल तरीका
IIT Bombay( photo credit : facebook )

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT): भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology) बॉम्बे ने देश में कोरोना संक्रमित रोगियों के उपचार के दौरान चिकित्सा ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए एक समाधान खोजा है. इसमें नाइट्रोजन जनरेटर को ऑक्सीजन में बदल कर ऑक्सीजन की समस्या को दूर किया जा सकता है.

96 प्रतिशत शुद्ध ऑक्सीजन का हो सकता है उत्पादन

इस प्रोजेक्ट का सफलतापूर्वक परीक्षण कर लिया गया है. यह एक सरल तकनीक पर निर्भर करता है. इसमें पीएसए (घुमाव के दबाव से सोखना) नाइट्रोजन इकाई को पीएसए ऑक्सीजन यूनिट में बदल दिया जाता है.आईआईटी बॉम्बे में किए गए प्रारंभिक परीक्षणों ने आशाजनक परिणाम दिये हैं. इसमें 3.5 एटीएम दबाव पर 93 से 96 प्रतिशत शुद्धता की ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा सकता है. यह ऑक्सीजन गैस मौजूदा अस्पतालों में कोविड से संबंधित जरूरतों को पूरा करने तथा भविष्य की कोविड-19 की विशिष्ट सुविधाओं के लिए ऑक्सीजन की निरंतर आपूर्ति करने के काम में ली जा सकती है.

नाइट्रोजन इकाई को ऑक्सीजन इकाई में कैसे बदला जा सकता है?

इस सवाल के जवाब में परियोजना का नेतृत्व करने वाले आईआईटी बॉम्बे के डीन (आरएंडडी), प्रो. मिलिंद अत्रे कहते हैं, “यह मौजूदा नाइट्रोजन प्लांट सेटअप को फाइन-ट्यूनिंग करके और आणविक चलनी को कार्बन से जायोलाइट में बदलकर किया गया है.” उन्होंने बताया कि ऐसे नाइट्रोजन संयंत्र, जो वायुमण्डल से कच्चे माल के रूप में वायु ग्रहण करते हैं, देशभर के विभिन्न औद्योगिक संयंत्रों में उपलब्ध हैं. इसलिए, उनमें से प्रत्येक को संभावित ऑक्सीजन जनरेटर में परिवर्तित किया जा सकता है. इस प्रकार हमें वर्तमान सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल से निपटने में मदद मिल सकती है. यह भी पढ़ें : COVID-19: महाराष्ट्र में जुलाई-अगस्त में आ सकती है कोरोना की तीसरी लहर, सीएम उद्धव ठाकरे बोले- अभी से ही रहें तैयार

आईआईटी बॉम्बे, टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स और स्पेंटेक इंजीनियर्स की पहल

यह पायलट प्रोजेक्ट पीएसए नाइट्रोजन और ऑक्सीजन प्लांट के उत्पादन से संबंध रखने वाले आईआईटी बॉम्बे, टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स और स्पैन्टेक इंजीनियर्स, मुंबई के बीच एक साझा प्रयास है. आईआईटी बॉम्बे के रेफ्रिजरेशन और क्रायोजेनिक्स लैब के बुनियादी ढांचे का उपयोग करते हुए स्पांटेक इंजीनियर्स ने मूल्यांकन के लिए आईआईटी बॉम्बे में आवश्यक प्लांट घटकों को स्थापित किया. प्रयोग के लिए यह सेटअप तीन दिनों के भीतर विकसित कर लिया गया. इसके प्रारंभिक परीक्षणों ने आशाजनक परिणाम दिखाए हैं. आईआईटी बॉम्बे के निदेशक प्रो. सुभाशीष चौधरी ने परियोजना में शामिल सभी पक्षों को बधाई दी और कहा कि हमारे देश के विकास और सफलता के लिए शिक्षा और उद्योग के बीच इस तरह की साझेदारी बेहद वांछनीय और आवश्यक है.