शालिजा धामी बनीं Indian Air Force की पहली महिला फ्लाइट कमांडर, रचा इतिहास
विंग कमांडर शालिजा पंजाब के लुधियाना में पली-बढ़ी, आसमान की उंचाइयों में उड़ने का मन हाई स्कूल के दिनों में बना लिया था. शालिजा पायलट बनना चाहती थी. शालिजा धामी 9 साल के बच्चे की मां हैं. शालिजा धामी अपने 15 साल के करियर में चेतक और चीता हेलिकॉप्टर उड़ाती रही हैं. शालिजा धामी वायुसेना की पहली महिला अधिकारी हैं जिनके पास 2300 घंटे तक उड़ान का अनुभव है. फ्लाइट कमांडर यूनिट की कमान में यह दूसरा पोस्ट है.
'म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के' दंगल' फिल्म में अभिनेता आमिर खान के डॉयलाग सभी को अच्छी तरह याद ही होगा. वैसे आज के दौरान में भारत की बेटियां पूरे देश में अपना नाम रोशन कर रही हैं. इसी कड़ी में भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) की विंग कमांडर शालिजा धामी (Wing Commander S Dhami ) ने देश की पहली महिला अधिकारी बन एक कीर्तिमान हासिल कर लिया है. इससे भारत की हर महिला गर्व महसूस कर रही है. विंग कमांडर शालिजा भारतीय महिला वायुसेना ऐसी अधिकारी हैं जो फ्लाइट कमांडर बनी हैं. उन्होंने ने हिंडन स्थित वायुसेना के हवाईअड्डे में चेतक हेलीकॉप्टर यूनिट के फ्लाइट कमांडर तौर पर जिम्मेदारी सौंपा गया है.
विंग कमांडर शालिजा पंजाब के लुधियाना में पली-बढ़ी, आसमान की उंचाइयों में उड़ने का मन हाई स्कूल के दिनों में बना लिया था. शालिजा पायलट बनना चाहती थी. शालिजा धामी 9 साल के बच्चे की मां हैं. शालिजा धामी अपने 15 साल के करियर में चेतक और चीता हेलिकॉप्टर उड़ाती रही हैं. शालिजा धामी वायुसेना की पहली महिला अधिकारी हैं जिनके पास 2300 घंटे तक उड़ान का अनुभव है. फ्लाइट कमांडर यूनिट की कमान में यह दूसरा पोस्ट है.
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हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए महिला अधिकारियों को अपने पुरुष समकक्षों के साथ स्थाई कमीशन पर विचार करने का अधिकार दिया. रिपोर्ट्स की मानें तो वायुसेना में पहली बार साल 1994 में महिलाओं को भर्ती किया गया था. हालांकि उन्हें केवल नॉन-कॉम्बैट पोस्ट पर ही भेजा जाता था. हालांकि सभी क्षेत्रों में महिलाओं ने खुद को बखूबी साबित किया और अब कॉम्बैट रोल्स में भी कार्यरत हैं.