अब पढ़ाई नहीं बनेगी बच्चों की बोझ: 1.5 किलो से ज्यादा नहीं होगा क्लास 1 और 2 का बैग, साथ ही नो होमवर्क
मोदी सरकार ने बच्चों के कंधों से पढाई का बोझ कम करने के लिए बड़ा फैसला लिया है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) ने सभी स्कूलों को सर्कुलर जारी कर कहा है कि क्लास वन और टू के बच्चों को होमवर्क नहीं दिया जाए.
नई दिल्ली: मोदी सरकार ने बच्चों के कंधों से पढाई का बोझ कम करने के लिए बड़ा फैसला लिया है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) ने सभी स्कूलों को सर्कुलर जारी कर कहा है कि क्लास वन और टू के बच्चों को होमवर्क नहीं दिया जाए. साथ ही स्कूल बैग का वजन भी तय मानक डेढ़ किलो से अधिक नहीं होना चाहिए.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एमएचआरडी मंत्रालय ने निर्देश दिया है कि कक्षा 1 और 2 के बच्चों को होमवर्क नहीं दिया जाए. इसके साथ ही बच्चों को केवल भाषा और गणित ही पढ़ाई जाएगी. इस गाइडलाइन के मुताबिक क्साल 1 और 2 में पढ़ने वाले वाले बच्चों के स्कूल बैग का वजन 1.5 किलो तय किया गया है.
एचआरडी ने अपने निर्देश में कहा है कि कक्षा 3 से कक्षा 5 तक के छात्रों को भाषा, पर्यावरण अध्ययन (EVS) और गणित एनसीआरटी के सिलेबस से पढाया जाए. वहीं कक्षा 3 से कक्षा 5 तक के छात्र-छात्राओं के स्कूल बैग का वजन 2 से 3 किलो तय किया गया है.
कक्षा | बैग का वजन | सब्जेक्ट |
क्लास 1 और 2 | अधिकतम 1.5 किलो | भाषा और गणित |
क्लास 3 से 5 | 2 से 3 किलो | भाषा, ईवीएस और गणित |
क्लास 6 और 7 | अधिकतम 4 किलो | - |
क्लास 8 और 9 | अधिकतम 4.5 किलो | - |
क्लास 10 | अधिकतम 5 किलो | - |
इसके बाद क्लास 6 और कक्षा 7वीं में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के स्कूल बैग का वजन 4 किलो तय किया गया है. जबकि 8वी और 9वीं कक्षा के लिए स्कूल बैग का का वजन 4.5 किलो होगा. इसके बाद 10वीं कक्षा के लिए स्कूल बैग का वजन केवल 5 किलो तय किया गय है. इसके साथ ये भी निर्देश दिए गए हैं कि बच्चे किसी भी तरह का भारी सामान स्कूल बैग में न लाएं.
भारी बैग से कमर की हड्डी टेढ़ी हो सकती है-
बता दें कि बच्चों की हड्डियां 18 साल की उम्र तक नरम होती हैं. इस उम्र में वजनी बैग उठाने के कारण कमर, गर्दन और कंधों से जुड़ी समस्याएं होने लगती है. हाल ही में भारतीय वाणिज्य एंव उद्योग मंडल (एसोचैम) ने देश के कई महानगरों के दो हजार बच्चों पर सर्वे करवाया था. इस रिपोर्ट के अनुसार 5 से 12 वर्ष आयु वर्ग के 82 फीसदी बच्चे बहुत भारी स्कूल बैग ढोते हैं. वहीं दस साल से कम उम्र के लगभग 58 फीसदी बच्चे कमर दर्द से पीड़ित है.